तेरी डोली उठी, मेरी मैय्यत उठी; फूल तुझ पर भी बरसे, फूल मुझ पर भी बरसे; फर्क सिर्फ इतना सा था, तू सज गई, मुझेसजाया गया; तू भी घर को चली, मैं भी घर को चला; फर्क सिर्फ इतना सा था, तू उठ के गई, मुझेउठाया गया; महफिल वहां भी थी, लोग यहां भी थे; फर्क सिर्फ इतना सा था, उनका हंसना वहां,इनका रोना यहां; काजी उधर भी था, मौलवी इधर भी था; दो बोल तेरे पढ़े, दो बोल मेरे पढ़े; तेरा "निकाह" पढ़ा, मेरा "जनाजा" पढ़ा; फर्क सिर्फ इतना सा था, तूझे अपनाया गया,मुझे दफनाया गया !