आंबेडकरवादी लोग शांति पूर्ण ही होंगे
उना समढीयाला दलित उत्पीडन कांड के सन्दर्भ में हुए गुजरात बंध आन्दोलन में ब्राह्मणवाद की प्रयोग भूमि पर बहुजनो की संगठित पहल का नमूना तो देख ही लिया |
मैंने पहले ही कहा था की यह आंबेडकरवादी लोग शांति पूर्ण ही होंगे | और संविधान एवं कानून की इज्जत करना यह अच्छी तरह जानते है और ऐसा ही हुआ | हा थोडा बहुत सरकारी सम्पति को नुक्सान हो गया यह नहीं होना चाहिए था |
अच्छा हॉगा की अगली बार यह गलती सुधारने के मौका ना मिले |
क्यूंकि ये बहुत भयानक चीज है, जातिवाद और एकदूसरे पर अविश्वास का ये माहौल बदलना चाहिए। कौन करेगा यह पहल ?
पहल तो हो चुकी है इसी आन्दोलन के दौरान ... ऐसा लगता है की जैसे गुजरात की सर जमीन पर शुद्र शक्ति का उदय हो रहा हो |
यकीन नहीं आता ? ... चलो ब्यौरा लेते है पुरी घटना की गति विधिओ का |
अल्पेश ठाकोर और उनकी संगठना OSS (OBC) दलित उत्पीडन के विरोध में खुलकर बहार आते है |
हार्दिक पटेल और उनकी संगठना PASS (पाटीदार) भी इसी दलित उत्पीडन के विरोध में अपना बयान देती है |
उधर प्रफुल वसावा और उनकी संगठना भिलिस्तान टाइगर सेना (आदिवासी) दलित उत्पीडन कांड के विरोध में हुए गुजरात बंध आन्दोलन में अपनी सक्रियता और सहभागिता दिखाती है |
दक्षिण गुजरात में खासकर व्यारा सोनगढ़ में तो SC/ST/OBC साथ मिल कर विरोध प्रदर्शित कर रहे थे |
कई जगह पर माइनॉरिटी के लोग भी खुलकर साथ में आये |
वेरसी गढ़वी (मूलनिवासी जन जागरण मंच), जयंती मनानी (OBC समर्थन समिति) अपनी सक्रियता और सहभागिता के सन्दर्भ में बार बार सोशल मीडिया पे अपने बयान जारी कर रहे थे |
आपको यह भी ज्ञात करा दू की यह सारे के सारे सामाजिक संगठन है कोई राजनितिक संगठन नहीं है |
महत्वपूर्ण सवाल यह है की ब्राह्मण, क्षत्रिय एवं वैश्य का कोई भी संगठन दलित उत्पीडन कांड के विरोध में हुए गुजरात बंध आन्दोलन में अपनी सक्रियता और सहभागिता दिखाते हुए नजर नहीं आया |
आखिर माजरा क्या है ? आपको समजना होगा |
यह माजरा जब एक का खून खौल रहा था तो दुसरे का खून बोल रहा था का है |
अर्थात यह सब घटक चाहे वो SC हो या ST हो या OBC हो या पाटीदार हो है तो सब शुद्र | यह भाई भाई है | यह बात अलग है की सदियों से इनको कैसे अलग रखा जाय इसके लिए हथकंडे अपनाए जा रहे है | और इस तरह असंगठित मेजोरिटी पर संगठित मेजोरिटी न केवल राज कर रही है बल्कि उनके अधिकार हथिया कर बैठी हुई है |
यह केवल आगाज है गुजरात में शुद्र शक्ति का संचार हो चुका है अब इस आगाज को अंजाम देने के लिए सामाजिक ध्रुवीकरण की भूमिका का निर्वहन करना पड़ेगा | और यह केवल मात्र संवाद संपर्क की भूमिका से ही हो सकता है |
यह बहुत ही कठिन मार्ग है जहा हमें अपने जातिवादी एवं मनुवादी पूर्वाग्रहों को छोड़ कर आगे बढ़ना पड़ेगा |
पहल हो चुकी है बस धीरे धीरे इस रथ को आगे बढ़ाना है |
फुले-बिरसा-शाहू-परियार-अम्बेडकर यही तो चाहते थे; बस हमें उस विरासत को आगे ले जाना है |
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