हत्यारे एक ही हैं , तब नाथूराम था अब नाथूराम के औलाद हैं।
आज ही के दिन बापू हमारे बीच नहीं रहे .....राष्ट्रपिता अमर रहे
इसी देश के एहसानफरामोश लोगों ने इस देश को स्वाधीन कराने वाले हम सबके "बापू" की आज के ही दिन हत्या की थी
बापू महात्मा गांधी की हत्या दिल्ली के बिड़ला हाउस में 30 जनवरी 1948 को शाम 5 बजकर 17 मिनट पर हुई थी। तीन गोलियां लगने के बाद गांधी के अनुयायी उन्हें अस्पताल ले जाने के बजाय बिड़ला हाउस के अंदर ले गए। बाद में वहां पहुंचे डॉक्टरों ने गांधी को मृत घोषित कर दिया।
महात्मा गांधी की हत्या के मामले में स्थित" हिंदू राष्ट्र" अखबार के संपादक नाथूराम गोडसे को मुख्य आरोपी बनाया गया।
घटना के बाद दिल्ली के तुगलक रोड पुलिस स्टेशन पर एफआईआर दर्ज की गई। लेकिन इसमें 4 घंटे की देरी हुई क्योंकि रिपोर्ट रात 9 बजकर 45 मिनट पर लिखी गई। यह कनॉट प्लेस निवासी नंदलाल मेहता ने दर्ज कराई थी। एफआईआर का नंबर था- 68। इसमें उर्दू में 18 लाइनें लिखी गई थीं।
मामले की शुरुआती जांच का जिम्मा तुगलक रोड पुलिस थाने के तत्कालीन एसएचओ दसौंधा सिंह, पुलिस उप अधीक्षक जसवंत सिंह और कांस्टेबल मोबाब सिंह के पास था। मामला आईपीसी की धारा 302 के तहत दर्ज किया गया था। एफआईआर में जिक्र है कि तीन गोलियां लगते ही गांधी राम-राम कहते हुए गिर पड़े। उनके पेट और छाती से खून निकलने लगा
बापू के परपोतो तुषार गांधी ने अपनी एक किताब में जिक्र किया है- ‘हत्या के बाद गोडसे हाथ ऊपर कर वहीं खड़ा हो गया था। लेकिन वहां पुलिस मौजूद नहीं थी"
इसके अलावा नारायण आप्टे, विष्णु करकरे, मदनलाल पाहवा, शंकर किष्टैया, गोपाल गोडसे, विनायक दामोदर सावरकर, दत्तात्रय परचुरे, गंगाधर दंडवते, गंगाधर जाधव, सूर्यदेव शर्मा और दिगंबर बागडे को आरोपी बनाया गया था।
फैसला 10 फरवरी 1949 को आया। कानूनी दाँव-पेंच का लाभ उठाकर माफीवीर सावरकर बरी कर दिया गया।
गोडसे और आप्टे को मौत की सजा सुनाई गई। बागडे को कम सजा हुई। परचुरे को बाद में अपील पर बरी कर दिया गया। सात अन्य को उम्र कैद हुई। गोडसे के भाई गोपाल गोडसे की 1965 में रिहाई हुई और 2005 में निधन हुआ।
नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी को जिस पिस्तौल से तीन गोलियां दागीं, वह बैरेटा मॉडल 1934 थी।
यह सेमी-ऑटामैटिक पिस्तौल थी। द्वितीय विश्वयुद्ध से पहले इटली की सेना ने इसे इस्तेमाल करना शुरू किया था। कुछ ही वर्षों में यह दुनियाभर में सबसे ज्यादा बिकने वाली पिस्तौल बन गई।
भारत में उस समय यह करीब 750 रुपए में मिलती थी। पिस्तौल में नौ गुणा 17 एमएम की कार्टरिज लगती थी। यह कुल छह इंच लंबी थी। नली की लंबाई 3.7 लंबी थी।
इसमें एक बार में सात गोलियां भरी जा सकती थीं। इससे निकली गोलियां एक सेकंड में 750 फीट की दूरी तय करती थीं। गांधी को गोडसे ने इस पिस्तौल से ढाई-तीन फीट की दूरी से तीन गोलियां दागी थीं।
गोडसे ने गांधी की हत्या के लिए यह पिस्तौल ग्वालियर से ली थी। गंगाधर दंडवते ने इसका इंतजाम किया था। इसको लेने के लिए गोडसे 28 जनवरी को ग्वालियर पहुंचा था। चूंकि पिस्तौल पुरानी थी, इसलिए गोडसे को यह 300 रुपए में दी गई ।
देश को आज़ाद कराने वाले बापू को देश के ही कुछ लोगों ने मारा और आजतक मार रहे हैं , तब उनकी शारीरिक हत्या हुई थी और आज तक बापू की वैचारिक , चारित्रिक और प्रतिकात्मक हत्या की जा रही है ,
हत्यारे एक ही हैं , तब नाथूराम था अब नाथूराम के औलाद हैं।
पूरी दुनिया में छोटे छोटे देशों को छोड़ दें तो सयुंक्त राष्ट्र के 196 सदस्य देशों ने अपने अपने राष्ट्रपिता को सम्मान दिया और हम अपने राष्ट्रपिता को दे रहें हैं गालियाँ ।
कोई जा कर पाकिस्तान में जिन्ना को बुरा कह दे , दक्षिण अफ्रीका जाकर नैल्सन मंडेला को बुरा कहदे , अमेरिका जा कर जार्ज वाशिंगटन को बुरा कहदे , 32 में सामने के 8 दाँत बाहर आ जाएँगे। हम अपने राष्ट्रपिता के हत्यारों को सत्ता दे रहे हैं , उनपर डाक टिकट निकाल रहे हैं।
बापू की हत्या आज के ही दिन 1948 में हुई थी और हम आज तक प्रतिदिन उनकी हत्या कर रहे हैं फिर भी बापू जीवित हैं तो इसलिए कि वह बापू हैं।
"शत शत विनम्र श्रृद्धांजलि"
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