कवि कभी दोषी होता है, वो भी ब्राह्मण कवि। घोर कलियुग है।
दूध के धुले हुओ के हजारो खुन माफ़
आज हर अखबार में वाजपेयी जी के किस्से भरे हुए हैं।
तारीफ पे तारीफ। कविता पे कविता। महान व्यक्तित्व, best PM!!!
कोई नही लिखता उसकी ब्रिटिश शाशन के वख्त स्वतंत्र सेनानियो के खिलाफ दी हुई गवाही के बारे में !!!????
इस हत्यारे के बाबरी कांड के नेतृत्व के बारे में।
बेचारे ने गलती से बाबरी मस्जिद तुड़वा दी
आडवाणी जोशी उमा के संग और 3000 लोग मर गये उसके दंगो में।
गलती तो जस्टिस लिब्राहन कमीशन की है जिसने उन्हें दोषी पाया।
कवि कभी दोषी होता है, वो भी ब्राह्मण कवि। घोर कलियुग है।
ब्राह्मणों में तो मेरिट कूट कूट कर भरा होता है। दुध के धुले हुए होते है ना !!!
न किसी ने लिखा उसके गुजरात दंगों पर घड़ियाली आंसू के बारे में।
ना उसके रंगीले मिजाज के बारे में ( बिना शादी किये औरत के साथ रहता था और बच्चा भी है)
मासूम शक्ल और सरनेम में वाजपेयी मिश्र पांडेय झा त्रिवेदी दुबे शर्मा भट्टाचार्य मुख़र्जी हो तो मनुस्मृति के अनुसार सैकड़ों खून माफ़ है।
वैसे भी उन 3000 मौतों में शरीर ही तो मरा है। आत्मा तो अजर अमर है।
भारत रत्न तो पक्का है ऐसे एटेंनाधारियों के लिए।
वाजपेयी जी को मिल चुका है।
कितना सहिष्णु है हमारा देश। जय हो सनातन संस्कार की।
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