काला नहीं मेहनत का धन लूट रही है सरकार

काला नहीं मेहनत का धन लूट रही है सरकार :-
भारत की 90% जनता मुर्ख है , 
यह जस्टिस मार्कन्डेय काटजू ने कहा था तो गलत नहीं कहा था। 
क्युँकि इस जनता को बार बार मुर्ख बनाया जा रहा है और जनता बन रही है।
दरअसल केंद्र में मौजूद मोदी सरकार की एक नीति रही है 
कि उसके हर फैसले को देश की सेवा से जोड़कर प्रस्तुत किया जाए 
और जनता के देशप्रेम की भावनाओं का दोहन किया जाए , 
जो भी उनके फैसले की आलोचना करे उसे देश विरोधी सिद्ध किया जाए।
माफ कीजिएगा , 
बाजार का काला धन सफेद हो चुका है 
और उसको सिद्ध करने के लिए मैं कुछ सबूत दे रहा हूँ।

1- सबूत नंबर, 
जिस घोषणा को प्रधानमंत्री 8 नवम्बर को बेहद गोपनीय बता रहे थे 
और यह कह रहे थे कि अभी कुछ मिनट पहले यह निर्णय लिया गया है 
और उनको खुद पहले से नहीं पता था , 
वह सूचना संघी समाचार पत्र "दैनिक जागरण" अपने 26 अक्टूबर 2016 के अंक में छाप चुका है 
कि 500-1000 के नोट बंद होंगे और 2000/= के नोट छप गये हैं ,

2- भारत के समाचार पत्र सबसे पहले रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन पर पहुँचते हैं 
जिसका समय अधिकतम 12:30 बजे रात या इससे पहले होता है , 
8 नवम्बर की रात 8:35 पर प्रधानमंत्री की घोषणा का यह विज्ञापन हिन्दुस्तान टाईम्स 9 नवम्बर के अंक में छाप देता है 
जिसे छापने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय की अनुमति लेनी पड़ती है , 
और जहाँ तक मैं समझता हूँ कि कितनी भी जल्दी कोई छापे , 
समाचार पत्र में विज्ञापन छपने की पूरी प्रक्रिया 7 बजे तक बंद हो जाती है। 
मात्र 2-3 घंटे के अंदर यह विज्ञापन छपना संभव ही नहीं। 
इसकी पूरी तैयारी पहले से की गयी और प्रधानमंत्री ने देश से झूठ बोला।

3- कालाधन जिनके पास होता है वह बड़े सेटिंग वाले लोग होते हैं , 
उनकी पैठ बहुत गहरी होती है , 
ध्यान दीजिए कि दैनिक जागरण को यदि यह खबर लग गयी तो व्यवस्था में पैठ रखने वालों को क्या पहले से पता नहीं रहा होगा ? 
बिलकुल रहा होगा और उन्होंने अपनी पुरानी करेन्सी सोने इत्यादि में खरीद ली होंगी।

4- भारत में सबसे पहले संभतः आईसीआईसीआई बैंक खुलता है सुबह 8 बजे 
और आज ही जिसे सबसे पहले भारत में नयी नोट मिली उसे एनडीटीवी ने दिखाया 
तो कल से यह तस्वीर सोशलमीडिया पर जो घूम रही हैं 
उनके हाथ में नयी नोट कहाँ से आ गयीं ?   
एक भाजपा अध्यक्ष की बेटी नलिनी मोर्य के पास नये नोट लांच होने से पहले केसे पंहुच गये???

5- दरअसल जो गरीब लोग अपनी मेहनत की कमाई जोड़ जोड़ कर रखे हुए हैं 
सारी समस्या उनके लिए इस सरकार ने पैदा की है , 
भाजपा संघ के धन्नासेठों ने अपने कालेधन का काम तमाम कर दिया है।

6- रिजर्व बैंक आफ इंडिया का गवर्नर उर्जित पटेल अंबानी बंधुओं के बहनोई का भाई है तो समझा जा सकता है कि क्या क्या हुआ होगा।

7- यह सब छोड़िए , 
प्रधानमंत्री ने अपने 22 अक्टूबर 2016 के बडोदरा के दौरे में मंच से संबोधन किया था उसका यूट्यूब पर मौजूद वीडियो देख लीजिए जिसमें उन्होंने 500-1000 के नोटों पर सर्जिकल स्ट्राईक की जरूरत बताई थी 
और काले धन की सबसे बड़ी वजह 500-1000 के नोटों को बताया था।

8- मार्कन्डेय काटजू का 90% के मुर्ख का आँकड़ा इस संदर्भ में बिलकुल सही था 
क्युँकि शेष 10% काला धन वाले व्यवस्था में घुसकर अपने धन को सुरक्षित कर चुके हैं , 
शेष 90% मुर्ख परेशान हैं जो देशभक्ति की आँड में बैंक के सामने लाईन लगाए हुए हैं।

9- कल से स्थिति यह है कि तमाम ऐसे केंद्र खुलने की अफवाहें हैं जहाँ कल से बट्टे पर नोट बदले जा रहे हैं और बच गया काला धन कुछ अधिक पैसे देकर सफेद हो रहे हैं , 
सोचिए सेटिंग कि यह लोग किस जरिए यह पुरानी करेन्सी नई कराएँगे ?
देशभक्ति की आँड में अंधीभक्ती उचित नहीं 
इसलिए सोचिए कि यह सरकार किसके मेहनत का धन निकलवा रही है 
और किसका कालधन 22 अक्टूबर 2016 से ही सुरक्षित करने का इशारा कर चुकी है।
■ सवाल यह भी है कि मीडिया और विपक्षी पार्टी कांग्रेस को यह तथ्य क्युँ नहीं मिलते जबकि मैं एक साधारण सा व्यक्ति सब सर्च कर लेता हूँ ?

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