क्या कहें इसे ? आर्थिक आपातकाल? आंशिक आपातकाल? या आपात काल का पूर्वाभ्यास ?
भक्त लोग बहुत चिल्ला रहे हैं कि सिकुलर लोग मोदी जी के कल के ऐतिहासिक फैसले के बाद शांत है.
अरे भाई दिन गुज़रने दो,
अनुभव करने दो फिर शेयर करेंगे.
वैसे आज मोदी जी ने, मेरे घर पर काम करने वाली लड़की को,
उसके हर महीने की कमाई से बचाए हुए 5000 रुपयों के मोह से छुटकारा दिला दिया.
उसकी मेहनत से कमाई हुई ‘मनी’ आज ‘ब्लैक’ हो गई
क्योंकि उसके पास एटीएम नहीं है,
आधार नही है और राशन कार्ड भी नही है.
बैंक बंद है, एटीएम में नोट नहीं हैं ,
मेरे पास भी 20 रूपये ही हैं, बाकी 1500 तो मोदी जी के तुफैल के भेट चढ़ गए.
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आज पैसे निकालने के लिए बाहर निकले तो 10 के 10 एटीएम बंद मिले.
वहाँ का चौकीदार भी सुबह से भूखा था
क्योंकि उसे 500 के छुट्टे ही नहीं मिले सो नाश्ता भी नहीं मिला.
अजीब सा माहोल था. सड़कें सूनी थी ,
लोग शांत थे.
क्या कहें इसे ? आर्थिक आपातकाल? आंशिक आपातकाल? या आपात काल का पूर्वाभ्यास ? बचपन में पढ़ा था कि एक मोहम्मद बिन तुगलक़ थे जिन्होंने कभी चमड़े के सिक्के चलाये थे, रातों रात राजधानी बदल दी थी.
कुछ वैसा वैसा ही लग रहा है.
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मुझे नहीं लगता कि किसी भी बड़े आदमी ने बोरिया भर भर के नोट इकट्ठे किये होंगे
क्योंकि ब्लैक-मनी को डायमंड और गोल्ड बना के रखना कहीं ज्यादा आसान होता होगा.
मोदी जी को डायमंड और गोल्ड भी 2 रूपये किलो कर देना चाहिए, उस से ब्लैक मनी और ज़ल्दी बाहर आ जाएगा
( वैसे मोदी जी का भरोसा नहीं, कहीं कर ही न दें. याद है न, अंधेर नगरी चौपट राजा , सवा सेर भाजी, सवा सेर खाजा)
अभी हाल ही में ब्लैक मनी की पनामा वाली लिस्ट में कुछ अपने फिल्मी सेलेब्रिटी का नाम भी आया था,
उनके बारे में तो चुप्पी साधे हैं मोदी सरकार.
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और स्विस बैंक के खाताधारक के नाम भी नहीं देखने को मिले अभी तक.
कहीं पढ़ा था कि देश के कुछ 100 अमीरों के पास सत्तर प्रतिशत काला पैसा है देश का,
उन को तो सरकार छूती भी नहीं है.
असल मार तो मिडिल और लोअर क्लास पर ही पड़ रही है.
गरीब की कमर फिर टूटे एक बार,
अबकी बार मोदी सरकार.
~ from Arvind jat
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