मैंने तो सोचा था कि काला धन वाले माल्या जैसे लोग होंगे.

आज बैंकों के बाहर दूर से लम्बी-लम्बी लाइन देखकर मैं खुश हुआ ,
लगा कि अब तो कालाधन वालों की खैर नहीं ,
सब घर से बाहर निकलकर बैंकों की तरफ आ गए हैं,
उत्सुकतावश मैं करीब जाकर देखने लगा ये कौन लोग हैं
जो नोटों को दबाये बैठे हैं,
कालाधन रखकर देश को बर्बाद कर रहे हैं
लेकिन ये क्या ?
काले-पीले चेहरे , कुछ के फटे-पुराने कपड़े तो कुछ के ठीक-ठीक थे मैं आश्चर्य चकित था कि कालाधन रखने वालों का ये कैसा living standard है ,
मैंने तो सोचा था कि वहाँ माल्या जैसे लोग होंगे जो विदेश नहीं भाग पाये
दहाड मार कर रो रहे होंगे कि हम बर्बाद हो गये लेकिन एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिला।

Comments

Popular posts from this blog

ना हिंदू बुरा है ना मुसलमान बुरा है जिसका किरदार बुरा है वो इन्सान बुरा है. .

क्या वाल्मीकि जी मेहतर/भंगी थे?

हर चमार महापंडित है सूर्यवंशी हैं