अंधभक्तों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के विरुद्ध फैलाये जा रहे जूठ का पर्दाफ़ाश ।
सुप्रीम कॉर्ट संसद ने बनाये क़ानून के हिसाब से चलती है और उस क़ानून से ही दर्ज किए गए मुक़दमों पर न्याय करती है ।
सुप्रीम कॉर्ट समेत पूरी न्याय व्यवस्थ, संसद और सरकार पर निर्भर है ।
भाजपा सरकार (मोदीजी ) पिछले ढाई साल में हाईकोर्ट और सुप्रीम कॉर्ट में न्यायाधीशो की नियुक्ति में अपना दबदबा बनाने के मलिन इरादे से कोलेजियम की स्वायत्त व्यवस्थाको ध्वस्त करने में लगे है ।
मोदीजी नए न्यायाधीश की नियुक्ति पर रोक लगाए बैठे है और नयी कोर्टके लिए फ़ंड नही दे रहे है ।
मोदीजी की ईन हरकतों से परेशान हो कर चीफ़ जस्टिस ने दो बार पब्लिक समारोह में इन मामलोंको सुलजानेके लिए बोला है । पहले कभी ऐसा नहीं हुआ |
चीफ़ जस्टिसने ख़ुद बताया की इस तरह कम न्यायाधीश, कम कोर्ट और पर्याप्त फ़ंड के बिना अगले 300 सालों तक केसो का निकाल नहीं हो पाएगा ।
दोस्तों, सोचिए जो मोदीजी और भाजपा के भ्रष्ट नेता अपनी पार्टी को फ़ंड देनेवाले के नाम बताना नहीं चाहते,
अपनी पार्टी को RTI में लाना नहीं चाहते, विदेशी बेंकोमें लाखों करोड़ों रुपये जमा करनेवाले के नाम नहीं बताना चाहते लेकिन सुप्रीम कोर्ट को बदनाम करने के लिए जूठे मेसेज फोरवर्ड करते है ।
क्यूँ ?
इसलिये की सुप्रीम कोर्ट
- भाजपा और सब पार्टियों को अपने दाताओ के नाम बताने का आदेश दे सकती है ।
- भाजपा और सब पार्टियों को RTI का पालन करने का आदेश दे सकती है ।
- विदेशी बेंकोमें लाखों करोड़ों रुपये जमा करनेवाले भ्रष्टाचारियोके नाम बताने का आदेश दे सकती है ।
सोचिए आपका और देश के भविष्य के लिये क्या अच्छा होगा ?
- पुलिस, आइबी और सीबीआइ की तरह सरकार का ख़िलोना बना न्यायतंत्र
या स्वतंत्रत, स्वायत्त और निष्पक्ष न्यायतंत्र?
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