तो इसे स्पेलिंग मिस्टेक कैसे कहा जा सकता है ?
नया खिलाड़ी पिच ज़्यादा खोदता है रन कम बनाता है :-
रिज़र्व बैंक आफ इंडिया के नवनियुक्त गवर्नर"उर्जित पटेल" अंबानी बंधुओं के बहनोई के सगेभाई हैं ,
मतलब अंबानी के बहन के देवर हैं ,
गुजराती हैं।
उनके कार्यकाल की पहली करेन्सी में छपे "दो हज़ार रूपये" के हिन्दी भाषा में "दोन हज़ार" और उर्दू भाषा में "दो सास रूपया" लिखा हुआ है,
इसके अतिरिक्त "दोन हज़ार रूपये" भी लिखे हुए हैं।
अर्थात तीन जगह भारी स्पेलिंग मिस्टेक है।
जहाँ तक मैं गुजरातियों को समझता हूँ ,
उनको गुजराती भाषा और जो बहुत पढ़ें लिखे हैं उनको इंग्लिश भाषा के अतिरिक्त शेष भाषाओं की बहुत कम जानकारी होती है ,
उर्दू तो छोड़िए , हिन्दी भी वह बोल तो लेते हैं पर लिखने में ऐसी ही बहुत सी गलतियाँ करते हैं।
परन्तु सवाल तो यह है कि क्या उर्जित पटेल ने इस नोट की डिज़ाईनिंग की है ?
गलतियाँ तो यही बताती हैं कि यह उनकी ही बनाई डिजाइन है ,
परन्तु सवाल यह भी है कि रिज़र्व बैंक का गवर्नर ऐसे काम क्युँ करेगा ?
जिसके नीचे लाखों लोग काम करते हैं।
जो लोग इसे "स्पेलिंग मिस्टेक" कह रहे हैं संभवतः उनको प्रिंटिंग की प्रक्रिया की जानकारी नहीं ,
अब हैंड प्रिंटिंग प्रेस का ज़माना नहीं है कि ब्लाक में एक एक अक्षर और मात्रा बैठा कर फ्रेम में बाँधा जाता हो
और मशीन में बाँध कर "धकाखच" "धकाखच" एक एक पीस की प्रिन्टिंग की जाती हो ,
अब आटोमेटिक फुल कम्प्यूटराईज़ मशीन होती है
और डिजाइन का साफ्टवेयर होता है
जहाँ प्रिंटिंग मटेरियल की एक डिज़ाईन बनाई जाती है ,
फिर कलर इफेक्ट डाले जाते हैं और फिर उसका प्रिंट लेकर प्रूफचेक किया जाता है
और कम से कम रिज़र्व बैंक जैसे संस्थान में डिज़ाईन के एप्रूवल के लिए तमाम टाप अधिकारियों ने मीटिंग की होगी ,
एक एक प्वाइंट पर चर्चा की गयी होगी ,
नोट में सुरक्षा से संबद्धित बहुत से निशान होते हैं,
यहाँ तक की नेत्रहीन लोगों के लिए भी नोट छूकर पहचानने के लिए चिन्ह होता है ,
ऐसे ही तमाम इफेक्ट होते हैं ,
ओरीजिनल चमकदार पट्टीहोती है ,
कहने का अर्थ यह है कि देश की राष्ट्रीय मुद्रा में कम से कम 25 ऐसे महत्वपूर्ण बिन्दु होते हैं
और हर बिंदु पर एक एक हाई लेबल मीटिंग बैठी होगी चर्चा हुई होगी
और फिर कमेटी ने हस्ताक्षर किए होंगे और मोटी मोटी फाईल बनी होगी ,
और फिर उस कम्युटराईज़ फाईनल डिजाइन को फुल्ली डीजीटल कम्प्यूटराईज़ प्रिन्टिंग मशीन द्वारा प्रिंटिंग के लिए भेज दी जाती है।
यह सब होने के बाद भी उर्दू भाषा की गलती तो छोड़िए देश की राष्ट्रभाषा "हिन्दी" के शब्दों में भी गलती है
तो इसे स्पेलिंग मिस्टेक कैसे कहा जा सकता है ?
सोचिएगा , उर्जित पटेल की योग्यता , और सोचिएगा कि पहली बार राष्ट्रीय मुद्रा पर ऐसी गड़बड़ी का क्या दंड हो सकता है ?
स्कूल में हिन्दी वाले मास्टर साहब , आलेख की कापी पर "दो" को "दोन" लिखने पर पीली वाली स्केल से मार मार कर हाथ लाल कर देते ।
इस गवर्नर को क्या सज़ा दी जाए क्युँकि फाईनल चेक तो इन्होंने ही किया होगा ,
और फिर हस्ताक्षर भी तो उन्हीं के हैं ?
कुछ नहीं होगा ,
बहनोई के भाई को किसी ने कुछ कहा है ? बहन का देवर हमेशा से टेढ़ा रहा है ।
नोट का महत्वपूर्ण बात तो यह है कि
"मुगलों" को गाली देकर पैदा हुई
और जवान हुई एक पार्टी की सरकार को अपनी जारी की गयी नोट के लिए मुगलों का बनाया "लालकिला" ही मिला ।
Mohd zahid ke wall se
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