आयूर्वेदीक ईलाज

*आंवला*
किसी भी रूप में थोड़ा सा आंवला हर रोज़ खाते रहे,
जीवन भर उच्च रक्तचाप और हार्ट फेल नहीं होगा।

*मेथी*
मेथीदाना पीसकर रख ले।
एक चम्मच एक गिलास पानी में उबाल कर नित्य पिए।
मीठा, नमक कुछ भी नहीं डाले।
इस से आंव नहीं बनेगी, शुगर कंट्रोल रहेगी और
जोड़ो के दर्द नहीं होंगे और पेट ठीक रहेगा।

*नेत्र स्नान*
मुंह में पानी का कुल्ला भर कर नेत्र धोये।
ऐसा दिन में तीन बार करे।
जब भी पानी के पास जाए मुंह में पानी का कुल्ला भर ले
और नेत्रों पर पानी के छींटे मारे, धोये।
मुंह का पानी एक मिनट बाद निकाल कर पुन: कुल्ला भर ले।
मुंह का पानी गर्म ना हो इसलिए बार बार कुल्ला नया भरते रहे।

भोजन करने के बाद गीले हाथ तौलिये से नहीं पोंछे।
आपस में दोनों हाथो को रगड़ कर चेहरा व कानो तक मले।
इससे आरोग्य शक्ति बढ़ती हैं। नेत्र ज्योति ठीक रहती हैं।

*शौच*
ऐसी आदत डाले के नित्य शौच जाते समय दाँतो को आपस में भींच कर रखे।
इस से दांत मज़बूत रहेंगे, तथा लकवा नहीं होगा।

*छाछ*
तेज और ओज बढ़ने के लिए छाछ का निरंतर सेवन बहुत हितकर हैं।
सुबह और दोपहर के भोजन में नित्य छाछ का सेवन करे।
भोजन में पानी के स्थान पर छाछ का उपयोग बहुत हितकर हैं।

*सरसों तेल*
सर्दियों में हल्का गर्म सरसों तेल
और गर्मियों में ठंडा सरसों तेल तीन बूँद दोनों कान में कभी कभी डालते रहे।
इस से कान स्वस्थ रहेंगे।

*निद्रा*
दिन में जब भी विश्राम करे तो दाहिनी करवट ले कर सोएं।
और रात में बायीं करवट ले कर सोये।
दाहिनी करवट लेने से बायां स्वर अर्थात चन्द्र नाड़ी चलेगी,
और बायीं करवट लेने से दाहिना स्वर अर्थात सूर्य स्वर चलेगा।

*ताम्बे का पानी*
रात को ताम्बे के बर्तन में रखा पानी सुबह उठते बिना कुल्ला किये ही पिए,
निरंतर ऐसा करने से आप कई रोगो से बचे रहेंगे।
ताम्बे के बर्तन में रखा जल गंगा जल से भी अधिक शक्तिशाली माना गया हैं।

*सौंठ*
सामान्य बुखार, फ्लू, जुकाम
और कफ से बचने के लिए पीसी हुयी आधा चम्मच सौंठ और ज़रा सा गुड एक गिलास पानी में इतना उबाले के आधा पानी रह जाए।
रात को सोने से पहले यह पिए।
बदलते मौसम, सर्दी व वर्षा के
आरम्भ में यह पीना रोगो से बचाता हैं।
सौंठ नहीं हो तो अदरक का इस्तेमाल कीजिये।

*टाइफाइड*
चुटकी भर दालचीनी की फंकी चाहे अकेले ही चाहे शहद के साथ दिन में दो बार लेने से
टाइफाईड नहीं होता।

*ध्यान*
हर रोज़ कम से कम 15 से 20
मिनट मैडिटेशन ज़रूर करे।

*नाक*
रात को सोते समय नित्य सरसों का तेल नाक में लगाये।
हर तीसरे दिन दो कली लहसुन रात को भोजन के साथ ले।
प्रात: दस तुलसी के पत्ते और पांच काली मिर्च नित्य चबाये।
सर्दी, बुखार, श्वांस रोग नहीं होगा। नाक स्वस्थ रहेगी।

*मालिश*
स्नान करने से आधा घंटा पहले सर के ऊपरी हिस्से में सरसों के तेल से मालिश करे।
इस से सर हल्का रहेगा, मस्तिष्क ताज़ा रहेगा।
रात को सोने से पहले पैर के तलवो, नाभि,
कान के पीछे और गर्दन पर सरसों के तेल की
मालिश कर के सोएं।
निद्रा अच्छी आएगी, मानसिक तनाव दूर होगा।
त्वचा मुलायम रहेगी।
सप्ताह में एक दिन पूरे शरीर में मालिश ज़रूर करे।

*योग और प्राणायाम*
नित्य कम से कम आधा घंटा योग और प्राणायाम का अभ्यास ज़रूर करे।

*हरड़*
हर रोज़ एक छोटी हरड़ भोजन के बाद दाँतो तले रखे और इसका रस धीरे धीरे पेट में जाने दे।
जब काफी देर बाद ये हरड़ बिलकुल नरम पड़ जाए
तो चबा चबा कर निगल ले।
इस से आपके बाल कभी सफ़ेद नहीं होंगे,
दांत 100 वर्ष तक निरोगी रहेंगे और पेट के रोग नहीं होंगे।

*सुबह की सैर*
सुबह सूर्य निकलने से पहले पार्क या हरियाली वाली जगह पर सैर करना सम्पूर्ण स्वस्थ्य के लिए बहुत लाभदायक हैं।
इस समय हवा में प्राणवायु का बहुत  संचार रहता हैं।
जिसके सेवन से हमारा पूरा शरीर रोग मुक्त रहता हैं और हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती हैं।

घी खाये मांस बढ़े,
  अलसी खाये खोपड़ी,
     दूध पिये शक्ति बढ़े,
भुला दे सबकी हेकड़ी।

तेल तड़का छोड़ कर
       नित घूमन को जाय,
       मधुमेह का नाश हो
     जो जन अलसी खाय ।।

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