पुलिस वाले और सिमी के आठ लोगो का पोस्ट मार्टम क्यो नही करवाया गया
सात दिन से तैयारी की थी शिवराज सिहं ने,
मुहूर्त भी निकलवाया था और मोदी को भी बताया था।
29 अक्टूबर की रात को 8 बजे आठ सिमी के गिरफ़्तार लोगो को पुलिस की एस टी एफ ने जेल के सारे सी सी टीवी कैमरे बन्द करवा दिये ।
फिर सब को जेल से निकाल कर भोपाल के बाज़ार में ले जा कर उन के नाप की पैन्टी, जूते, टीशर्ट और घड़ियाँ दिलाई गई। फिर सब की गाड़ियाँ और बाल कटवाये गये और फिर जेल भेज दिया गया। कहा गया कि तुम बरी हो ही रहे हो।
अगले दिन फिर सी सी टी वी कैमरे बन्द करवाये गये फिर जेल की गाड़ी में क़ैदियों को अलग अलग सेल से निकाला गया और अलग अलग जीपों में बैठा कर ले जाया गया।
क़ैदियों के जाने के बाद एक यादव हवलदार की हत्या की गई।
क़ैदियों को रात 1 बजे खाना खिलाया गया और फिर सुबह जीपों मे भोपाल के बाहर ले जाकर फ़र्ज़ी एन्काउन्टर के लिये छोड दिया गया और तब शिवराज सिहं से आदेश ले कर मार दिया गया, ताकि यू पी चुनाव में फायदा उठाया जाये।
जिस जेल के बाथरूम तक में मोनिका बेदी के नंगे नहाने की रिकार्डिड के लिए 2009 में सी सी टी वी कमरे लगे थे वहाँ 2016 के कैमरे की फ़ुटेज कहा है।
मारे गये पुलिस वाले और सिमी के आठ लोगो का पोस्ट मार्टिन क्यो नहीकरवाया गया जबकि हर ऐसी लाश का पोस्टमार्टम ज़रूरी है।
जूते नये है पर यदि माना जाये कि 8घन्टो में 8 लोगो ने 8 किलोमीटर पैदल चल कर दूरी तय की तो जूते के तलो के डिज़ाइन में कच्ची मिट्टी क्यो नही भरी?
तीन विडियो बताते है कि पूरा हत्या कांड का मास्टर माईंड शिवराज और नरेन्द्र दामोदर दास मोदी है।
अब देश के सुप्रीम कोर्ट को ख़ुद संज्ञान लेना चाहिये या नही?
क्यो आठों एक ही सेल में थे?
क्यो आठों एक ही गाड़ी में भागे ?
क्यो आठों ने कपड़े बदले ?
क्यो आठों एक ही जगह एन्काउन्टर में थे?
क्यो आठों मारे गये ?
यह सारी क्यो बताती है कि यह एक फ़र्ज़ी जाहिरा शेख़ की तरह फ़र्ज़ी एन्काउन्टर है।
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