मार डालो मुझे क्योकी मैं मुसलमान हूँ
भोपाल का लाईव इनकाउंटर देखिए :-
पिछले ही दिनों वारंगल (आंन्ध्र प्रदेश) में 5 मुसलमानों को अदालत ले जाते समय फर्जी ऐन्काउंटर में मार दिया गया था ,
ऐनकाउंटर को सही सिद्ध करने के लिए उनके हाथों में एक-47 राईफलें पकड़ा दी गयीं थीं जबकि तस्वीरें बता रहीं कि उनके हाथों में हथकड़ियाँ थीं और वह उस वैन की सीट से बंधी थीं जिनमें उनको ले जाया जा रहा था।
ऐनकाउंटर का मतलब होता है "मुठभेड़" जिसमें दोनों तरफ से आक्रमण किया जाए , और गोलीबारी में पुलिस अपनी आत्मरक्षा में आक्रमण करने वालों को मार दे ,
और यदि आक्रमण नहीं हुआ तो जीवित पकड़ने का प्रयास करे।
वारंगल में ऐसा कुछ नहीं हुआ और सभी के हाथों में हथकड़ियाँ थीं फिर भी उनको मार दिया गया ,
बाटला हाउस में भी यही हुआ और सभी बच्चों को सर के बीचोबीच गोली मारी गयी ,
कोई विशेषज्ञ बताएगा कि इनकाउंटर की वह कौन सी पोजीशन होगी किसी कमरे में कि सर पर गोली लग सके ?
ऐसे ही फर्जी इन्काउंटर में शोहराबुद्दीन और इशरत जहाँ भी 3-4 मुसलमानों के साथ मारे गये जबकि वह भी निहत्थे और पुलिस कस्टडी में थे।
भोपाल में मारे गये 8 मुसलमान अंडर ट्रायल थे जिनका फैसला कुछ दिनों में ही आने वाला था , और इसमें उनके बाईज्जत बरी होने की उम्मीदें थीं , कुछ लड़के तो अपना नाम आने के बाद आत्मसमर्पण करके भारतीय न्यायिक प्रक्रिया का सामना कर रहे थे।
देश में मुसलमानों के खून की कोई कीमत नहीं है और ऐसे जो तीन चार उदाहरण मैंने ऊपर दिये हैं वैसे ही ना जाने कितने मामले और हैं जिनकी चर्चा करूँ तो पोस्ट दिन भर लिखता रहूँगा।
ध्यान रहे कि ऐसा करने वाले इतने बड़े राक्षस होते हैं कि ऐसे फर्जी इनकाउंटर को सही बनानेके लिए किसी अपने ही पुलिसकर्मी को भी वहीं मार देते हैं।
महेश चन्द्र शर्मा हों , हेमंत करकरे हों या कल की फर्जी मुठभेड़ में मारे गये रमाकांत यादव हों।
आप सवाल मत कीजिए कि आपने भोपाल इनकाउंटर को फर्जी क्युँ कहा ,
क्युँकि जो वीडियो मैने इस पोस्ट के साथ शेयर की है वह दिखाती है कि कैसे निहत्थे 8 मुसलमानों को एक पहाड़ी पर खड़ा करके घेरा जाता है और फिर मार दिया जाता है।
फर्जी इन्काउंटर का इससे स्पष्ट सबूत आपने पहले नहीं देखा होगा।खुद देखिए मुझपर विश्वास मत कीजिए
इसी लिये कहा कि"मार डालो मुझे क्योकी मैं मुसलमान हूँ"
पिछले ही दिनों वारंगल (आंन्ध्र प्रदेश) में 5 मुसलमानों को अदालत ले जाते समय फर्जी ऐन्काउंटर में मार दिया गया था ,
ऐनकाउंटर को सही सिद्ध करने के लिए उनके हाथों में एक-47 राईफलें पकड़ा दी गयीं थीं जबकि तस्वीरें बता रहीं कि उनके हाथों में हथकड़ियाँ थीं और वह उस वैन की सीट से बंधी थीं जिनमें उनको ले जाया जा रहा था।
ऐनकाउंटर का मतलब होता है "मुठभेड़" जिसमें दोनों तरफ से आक्रमण किया जाए , और गोलीबारी में पुलिस अपनी आत्मरक्षा में आक्रमण करने वालों को मार दे ,
और यदि आक्रमण नहीं हुआ तो जीवित पकड़ने का प्रयास करे।
वारंगल में ऐसा कुछ नहीं हुआ और सभी के हाथों में हथकड़ियाँ थीं फिर भी उनको मार दिया गया ,
बाटला हाउस में भी यही हुआ और सभी बच्चों को सर के बीचोबीच गोली मारी गयी ,
कोई विशेषज्ञ बताएगा कि इनकाउंटर की वह कौन सी पोजीशन होगी किसी कमरे में कि सर पर गोली लग सके ?
ऐसे ही फर्जी इन्काउंटर में शोहराबुद्दीन और इशरत जहाँ भी 3-4 मुसलमानों के साथ मारे गये जबकि वह भी निहत्थे और पुलिस कस्टडी में थे।
भोपाल में मारे गये 8 मुसलमान अंडर ट्रायल थे जिनका फैसला कुछ दिनों में ही आने वाला था , और इसमें उनके बाईज्जत बरी होने की उम्मीदें थीं , कुछ लड़के तो अपना नाम आने के बाद आत्मसमर्पण करके भारतीय न्यायिक प्रक्रिया का सामना कर रहे थे।
देश में मुसलमानों के खून की कोई कीमत नहीं है और ऐसे जो तीन चार उदाहरण मैंने ऊपर दिये हैं वैसे ही ना जाने कितने मामले और हैं जिनकी चर्चा करूँ तो पोस्ट दिन भर लिखता रहूँगा।
ध्यान रहे कि ऐसा करने वाले इतने बड़े राक्षस होते हैं कि ऐसे फर्जी इनकाउंटर को सही बनानेके लिए किसी अपने ही पुलिसकर्मी को भी वहीं मार देते हैं।
महेश चन्द्र शर्मा हों , हेमंत करकरे हों या कल की फर्जी मुठभेड़ में मारे गये रमाकांत यादव हों।
आप सवाल मत कीजिए कि आपने भोपाल इनकाउंटर को फर्जी क्युँ कहा ,
क्युँकि जो वीडियो मैने इस पोस्ट के साथ शेयर की है वह दिखाती है कि कैसे निहत्थे 8 मुसलमानों को एक पहाड़ी पर खड़ा करके घेरा जाता है और फिर मार दिया जाता है।
फर्जी इन्काउंटर का इससे स्पष्ट सबूत आपने पहले नहीं देखा होगा।खुद देखिए मुझपर विश्वास मत कीजिए
इसी लिये कहा कि"मार डालो मुझे क्योकी मैं मुसलमान हूँ"
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