हमारे देश में पागल को भी प्रधानमंत्री तक बनाया जाता है

हमारे देश में पागल लोग भी है जिनको प्रधानमंत्री तक बनाया जाता है
अचानक पागलपन दौरा पडंता है तो 500---1000 के नोट बंद कर देता है
और भारत लोगो की मुर्खता तो देखो उसे आसानी से स्वीकार कर लेती
और पागलो की तरह बैको के सामने खडी हो जाती है
विरोध तक नही करती है कि नोट बैन बाद मे किया जाय जब तक सुचारु रुप से बैको और बजार मै पैसा  नही आ जाये
लेकिन बैन करने से सबसे ज्यादा निजी अस्पतालों मे और रोड पर चलने वाले वाहनो रेलवे मे इतनी असुविधा हुई है
लाशे सड रही है ऐक्सीडेंट मरीजो का दाखला नही हो रहा डिलवरी केस बिगड रहे दो दिन से भुख के मारे सफर कर रहे है
स्टेशनों पानी तक नही मिल पा रहा प्यासे यात्री चिला रहे है
काला बजारी जिसने उसकी उसको पकडने बजाय आम जनता को परेशानी क्यु दी ट्रको मे भरा माल दूरगामी जाने वाले रसते मे तेल तो मिल रहा है
लेेकिन रोटी पानी के लिए तरस रहे है
घंटो लाइन लगकर सिर्फ चार हजार बदले जा रहे लोग दो हजार का नोट देखकर खुश तो हो रहे लेकिन यह एक मुर्खता पुर्वक तरीका समझ नही आया सब कुछ पता है
इंटेलिजेंस एजेंसी को की कौन है गुनेहगार
लेकिन आम पब्लिक को क्यु परेशान किया जा रहा है
आराम से पैसा भी बदला जा सकता था 30 दिसम्बर को बैन कर देते तो कम से कम आम आदमी परेशान तो नही होता रही बात जमाखोर की तो उनका पैसा कहा जाता
वो अगर भारत सरकार वापस मिल जाता क्या खराबी थी लोग जला रहे क्या मतलब चोर तो बाद मे सामने आ जाते जिस प्रकार की बदल ने की प्रक्रिया है वो भी क्या चोरो को पकड पायेगी

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