हर कैदी एक ही समय में अपनी सेल का ताला तोड़ते या खोलते हैं,
सेंट्रल जेल के तीन अलग अलग सेक्टर्स में 8 कैदी, सारे कैदी अलग अलग सेल में ...
कैदियों की सुरक्षा का ऐसा इन्तेजाम कि उन्हें पेशी के लिए अदालत भी नहीं ले जाया जाता
बल्कि विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग कराइ जाती है ...
इन सख्त सुरक्षा इन्तेज़मों के बीच ...
हर कैदी एक ही समय में अपनी सेल का ताला तोड़ते या खोलते हैं,
आगे बढ़ते हैं, अपने अपने सेक्टर की बैरक का भी ताला तोड़ते या खोलते हैं ....
अपने साथ चम्मच व थाली के खतरनाक हथियार लिए हुए ....
साथ ही अपनी अपनी बेडशीट भी लिए हुए ...
पूरी जेल का प्रांगण पार करने के बीच केवल एक कांस्टेबल मिलता है,
जिसकी हत्या वे चम्मच व थालियों के खतरनाक हथियार की मदद लेकर उसका गला रेत कर कर देते हैं ....
किसी को कानों कान खबर नहीं होती ...
अब उनके सामने 20 फीट ऊंची दीवार है,
जिसके ऊपर तार की बाड़ लगी है और उन तारों में करंट दौड़ रहा है ...
दीवार पर सर्च लाइट और प्रहरियों का पहरा भी है ...
सारे कैदी अपनी अपनी बेडशीट को कुछ ऐसे साइंटिफिक तरीके से 20 फीट ऊंचा उछाल कर दीवार पर फंसा देते हैं कि वह उनका बोझ सहार सके
और उसके सहारे आठों लोग एक एक करके (या फिर एक साथ) 20 फीट ऊपर दीवार पर चढ़ जाते हैं,
तारों का करंट उन पर कुछ असर नहीं करता...
फिर वे 20 फीट दीवार के उस पार भी या तो कुछ और बेडशीट डाल कर उस पार उतर जाते हैं या सुपर हीरो की तरह डायरेक्ट कूद पड़ते हैं ....
नीचे उतरते ही उनके हाथ में देसी कट्टे आ जाते हैं ...
वे यह कट्टे लेकर नहाते धोते हैं...
नए कपडे, जूते पहनते हैं ...
हाथों में घड़ियाँ बांधते हैं ...
और घूमने निकल पड़ते हैं
12 घंटे बाद वे जेल से 10 किलोमीटर की दूरी पर पुलिस द्वारा घेर लिए जाते हैं ...
5 कैदी आगे आकर हाथ हिलाते हैं और बात करना चाहते हैं,
लेकिन हमारी कर्तव्यनिष्ठ पुलिस फ़ौरन यह भांप लेती है कि
ये उनकी चाल है ताकि बाकी तीन भाग जाएँ...
पुलिस उन आठों को मार गिराती है ...
एक आखिरी जिसमें कुछ जान बची है, उसे पॉइंट ब्लेंक पर शूट कर देती है ...
विडियो बन रहा है ... एक पुलिस वाला कहता है हथियार निकालो, दूसरा तुरंत मरे हुए व्यक्ति की टी शर्ट ऊपर करता है और पेंट में खुसा हुआ तेज़ धार चमचमाता बड़ा सा चाकू निकाल लेता है ...
शायद मरने वाले ने पहले ही बता दिया होगा कि हथियार यहाँ छुपा है या फिर हमारा यह कर्तव्यनिष्ठ ऑफिसर अंतर्यामी होगा ...
मरने वाला भी कुछ कम सुपर मैन नहीं था क्यूंकि इस तरह चाकू धार की तरफ से अपनी पेंट में खोंस कर भागना, और पुलिस से मुठभेड़ करना कुछ कम आश्चर्यजनक नहीं है ...
आपकी जानकारी के लिए इन सारे (गृह मंत्री जी के बयान के अनुसार "खूंखार आतंकवादियों") पर
अभी मुक़दमा चल रहा था और भारतीय न्यायलय ने इनको अपराधी घोषित नहीं किया था
आई जी साहब कहते हैं कि इन आतंकवादियों ने फायरिंग की थी और पुलिस ने "आत्मरक्षा" में सभी को मार गिराया ...
गृह मंत्री कहते हैं कि वे "खूंखार आतंकवादी" थे लेकिन उनके पास गन नहीं थी
परन्तु चम्मच व थाली जैसे खतरनाक हथियार थे जिससे उनहोंने हमला किया तथा पुलिस के पास उनको मारने के सिवा कोई चारा नहीं था ...
अब आप यह चाहते हैं कि हम इस पर यकीन भी करें ...
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