नोटबंदी : शुरुआत में मास्टरस्ट्राॅक कहने वाले विदेशी मीडिया ने अब बताया फेल
भारत में 500 और 1000 के नोट बदलने के मोदी सरकार के फैसले पर विदेशी मीडिया भी कड़ी नजर बनाए हुए है।
जिस समय यह फैसला लागू किया गया था तो विदेशी मीडिया ने इसे मास्टरस्ट्रॉक बताया था। लेकिन एक सप्ताह बाद ही उसे इसमें नीति की विफलता नजर आने लगी है।
उनका मानना है इससे महंगाई बढ़ेगी और रुपये में जोरदार गिरावट आएगी।
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द गार्जियन : महंगाई बढ़ेगी
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इस अखबार ने मोदी सरकार के फैसले को एक ‘विफल प्रयोग’ करार दिया है।
उसका कहना है कि इससे अमीर लोग प्रभावित नहीं होंगे,
क्योंकि वे किसी न किसी तरह से अपने पैसे को बदलने का इंतजाम कर लेंगे।
कुछ इससे सोना खरीद लेंगे तो कुछ जमीन। लेकिन देश की 1 अरब 30 करोड़ की आबादी वाले भारत में गरीबों पर सबसे ज्यादा मार पड़ेगी।
वे ही सबसे ज्यादा कैश में काम करते हैं।
पैसे घरों में रखते हैं। उनके पास बैंक अकाउंट नहीं हैं।
उनके लिए बैंकों से पैसे बदलवाना ही सबसे बड़ी मुसीबत होगी।
बैंकों में पैसे बदलवाने के लिए लंबी लाइनों का सामना उन्हें करना पड़ रहा है।
जिस समय वे अपना काम करते थे उस दौरान वे बैंकों में लाइनों में लगे हैं।
अखबार ने लिखा है’ मोदी की योजना तानाशाह के असफल प्रयोग की तरह है, जिससे महंगाई बढ़ेगी, रुपये में गिरावट आएगी और इन सबसे बढ़कर प्रदर्शन के लिए लोग सड़कों पर उतर आएंगे।
मोदी भ्रष्टाचार खत्म करने का अभियान चला रहे हैं। ऐसे में अच्छा होता कि वे अपने देश में टैक्स सिस्टम में सुधार करते।’
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हेराल्ड : भरोसा टूट रहा है
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हेराल्ड लिखता है कि भारत सरकार को नोट बदलने के अपने वादे पर पूरा उतरना चाहिए, बेशक जैसी भी परिस्थितियां हों।
क्योंकि लोगों का विश्वास टूट रहा है। बैंकों के बाहर लंभी लाइनें लगी हैं। बैंकों को कैश नहीं होने के कारण आधे दिन के बाद ही बंद कर दिया जा रहा है।
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न्यूयॉर्क टाइम्स : कैश ही किंग है
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न्यूयाॅर्क टाइम्स ने लिखा है इस बदलाव से सरकार ने अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल मचा दी है। लाखों लोग बैंकों के बाहर लाइन लगाकर खड़े हैं।
अखबार ने लिखा है-’भारत में कैश किंग है। 78 फीसदी ट्रांजेक्शन कैश में होती है।
ज्यादातर लोगों के पास बैंक अकाउंट और क्रेडिट कार्ड नहीं हैं। ज्यादातर बिजनेस ऐसे हैं, जिनमें कैश ही स्वीकार किया जाता है।’
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नोटबंदी की तारीफ करने के बाद यूं पलट गए बिल गेट्स
नोटबंदी के फैसले की तारीफ कर चुके माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स ने अब यूटर्न ले लिया है।
बिल गेट्स ने बुधवार को नोटबंदी के फैसले को शैडो इकॉनमी से बाहर निकलने की दिशा में महत्वपूर्ण और साहसी कदम करार दिया था। एक वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने अब अपनी राय से पलटते हुए कहा कि नोट बदलने पर उनकी कोई राय नहीं है।
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ब्लूमबर्ग : मोदी सरकार की बड़ी गलती
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ब्लूमबर्ग ने लिखा है कि शुरुआत में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह फैसला मास्टरस्ट्रोक नजर आता था।
लेकिन अब एक सप्ताह बाद इसे एक बड़ी गलती के रूप में देखा जाने लगा है।
86 फीसदी भारतीय मुद्रा अब वैध नहीं रहेगी। सेंट्रल बैंक मुद्रा को बदलने के लिए संघर्ष कर रहा है।
मोदी लोगों को 50 दिन का इंतजार करने को कह रहे हैं, लेकिन इस पूरी प्रकि्रया में चार महीने का समय लग सकता है।
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