Shayari Part 1
तेरी डोली उठी, मेरी मैय्यत उठी;
फूल तुझ पर भी बरसे, फूल मुझ पर भी बरसे;
फर्क सिर्फ इतना सा था,
तू सज गई, मुझे सजाया गया;
तू भी घर को चली, मैं भी घर को चला;
फर्क सिर्फ इतना सा था,
तू उठ के गई, मुझे उठाया गया;
महफिल वहां भी थी, लोग यहां भी थे;
फर्क सिर्फ इतना सा था,
उनका हंसना वहां, इनका रोना यहां;
काजी उधर भी था, मौलवी इधर भी था;
दो बोल तेरे पढ़े, दो बोल मेरे पढ़े;
तेरा "निकाह" पढ़ा, मेरा "जनाजा" पढ़ा;
फर्क सिर्फ इतना सा था,
तूझे अपनाया गया, मुझे दफनाया गया !
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