बाबा साहब का संदेश

कहा जाता है जब एक जानवर रोता है
तो “आंसू टपकते है, और जब एक लेखक
रोता है तो “शब्द”
तो आज मै भी रोया!

बाबा साहब का संदेश;-

सुन ऐ नादाँ, मुझे भी कोई
दौलत की कमी नही होती,
अगर मुझको तेरे सम्मान
की कोई फिकर नही होती!
गगन को चूम रहा होता,
मेरा भी ऊंचा सा बंगला,
लड़ाई जो तेरे हकों की,
मैने कभी लड़ी नही होती!
जिये होती मेरी भी औलादें,
ऐश और आराम का जीवन,
तेरे बच्चो की खुशियो की,
कहानी जो लिखी नही होती!
छपी होती मेरी भी तस्वीरें,
कागज़ो के इन टुकड़ो पर,
तेरी खातिर जो मनुओ से,
दुश्मनी मैने करी नही होती!
जहां चाहत थी आज़ादी की,
बही नदियों से खून की धारा,
कद्र होती आजादी की तुझे,
जो बैठे-बैठे न मिली होती!
बड़ा अफसोस है कि मेरा,
रह गया अधूरा इक सपना,
जो मेरी औलादो ने मिलकर,
मेरी नीलामी की नही होती!
जयभीम! नमो बुद्धस्स!!

रचयिता:- शैलेन्द्र कुमार “सम्यक”

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