ज्योतिषीयो(फलित ज्योतिष) से दूर रहने के उपाय
• स्वयं पर विश्वास करे आत्मविश्वास को बढाए.
किसी भी कार्य के होने या न होने के पीछे ग्रह नहीँ है - स्वयं आप ही है. अत: कहां कमी रह गई उन पर विचार करेँ।
• लक्ष्य की प्राप्ति के लिए परिश्रम करेँ. लक्ष्य प्राप्ति की दिशा मे ही अग्रसर रहेँ. दिन रात उसी के सपने देखे. जो लक्ष्य तय किया है उसी अनुसार परिश्रम करेगेँ तो सफलता निश्चित है।
• कार्य को करने से पहले लक्ष्य की प्राप्ति हेतु आवश्यक उपलब्ध संसाधनो पर अवश्य विचार करें।
• कर्म पर विचार करे - कर भी रहेँ है या नहीँ. क्योँकि वही है जो आपको पता है और उन के लिए उतरदायी भी आप ही है।
• तर्कवादी बने. क्या क्योँ और कैसे इन शब्दो का प्रयोग करना सीखे. किसी भी बात को ऐसे ही सच न माने. स्वयं विचार कर के अच्छी तरह से तथ्य को परख कर ही विश्वास करे. फिर कोई भी आपको मूर्ख नहीँ बना पाएगा।
• किसी टोटके आदि मे विश्वास करना त्याग दें. नहीँ त्याग सकते है तो एक बार इस बात पर विचार करे कि जिस काम को मनुष्य होकर भी कर नहीँ पाए उसे मसूर दाल, बताशे, रेवङिया, हल्दी, चन्दन किस प्रकार से करेगें।
• भविष्य को जान कर उसे बदलने की बजाय, अपने वर्तमान को पहचान कर उसे बेहतर बनाए - भविष्य अपने आप संवर जाएगा।
• भविष्य पूर्व निश्चित नहीँ है वह कर्म से बनता है. अत: कर्म प्रधान बने.
• भाग्य को दोष देना बन्द करें. यदि भाग्य मे लिखे लेख के अनुसार ही जीवन चक्र चलित हो, तो कर्म की आवश्यकता ही क्या है !
• वर्तमान में जियें एक वही है जो पास है. क्योंकि न तो भूतकाल एंव न ही भविष्यकाल पर हमारा नियंत्रण है।
• सदैव याद रखेँ कि आपके जन्म के समय आपके साथ उसी क्षण मे २५५ व्यक्ति और भी उत्पन्न हुए है, और ३०२०० व्यक्ति आपकी कुंडली के ग्रह योग लेकर. अतः यह भ्रम मन से निकाल दे कि ग्रहो के कारण आपके साथ ऐसा हो रहा है।
•अगर ज्योतिष समाधान से आपका भला हो सकता है तो ज्योतिषियों का क्यों नहीं हुआ?-सोचें।
• यदि फिर भी आपको लगता है कि नहीं ज्योतिष सही है और ज्योतिषी ही आपका भविष्य बदल सकते है ! तो आपको कोई नहीँ समझा सकता है कि आपकी कुंडली मे ३६ प्रकार के राज योग क्यों न हो, कर्म हर कीमत पर करने ही पङेगे. इसलिए आपका यह सब पढ़ना बेकार गया। किसी ज्योतिषी के पास जाए और जो बनना हो उसका योग बनवा कर ले आए और चैन से सो जाए - ग्रह सब कर ही देगें !
किसी भी कार्य के होने या न होने के पीछे ग्रह नहीँ है - स्वयं आप ही है. अत: कहां कमी रह गई उन पर विचार करेँ।
• लक्ष्य की प्राप्ति के लिए परिश्रम करेँ. लक्ष्य प्राप्ति की दिशा मे ही अग्रसर रहेँ. दिन रात उसी के सपने देखे. जो लक्ष्य तय किया है उसी अनुसार परिश्रम करेगेँ तो सफलता निश्चित है।
• कार्य को करने से पहले लक्ष्य की प्राप्ति हेतु आवश्यक उपलब्ध संसाधनो पर अवश्य विचार करें।
• कर्म पर विचार करे - कर भी रहेँ है या नहीँ. क्योँकि वही है जो आपको पता है और उन के लिए उतरदायी भी आप ही है।
• तर्कवादी बने. क्या क्योँ और कैसे इन शब्दो का प्रयोग करना सीखे. किसी भी बात को ऐसे ही सच न माने. स्वयं विचार कर के अच्छी तरह से तथ्य को परख कर ही विश्वास करे. फिर कोई भी आपको मूर्ख नहीँ बना पाएगा।
• किसी टोटके आदि मे विश्वास करना त्याग दें. नहीँ त्याग सकते है तो एक बार इस बात पर विचार करे कि जिस काम को मनुष्य होकर भी कर नहीँ पाए उसे मसूर दाल, बताशे, रेवङिया, हल्दी, चन्दन किस प्रकार से करेगें।
• भविष्य को जान कर उसे बदलने की बजाय, अपने वर्तमान को पहचान कर उसे बेहतर बनाए - भविष्य अपने आप संवर जाएगा।
• भविष्य पूर्व निश्चित नहीँ है वह कर्म से बनता है. अत: कर्म प्रधान बने.
• भाग्य को दोष देना बन्द करें. यदि भाग्य मे लिखे लेख के अनुसार ही जीवन चक्र चलित हो, तो कर्म की आवश्यकता ही क्या है !
• वर्तमान में जियें एक वही है जो पास है. क्योंकि न तो भूतकाल एंव न ही भविष्यकाल पर हमारा नियंत्रण है।
• सदैव याद रखेँ कि आपके जन्म के समय आपके साथ उसी क्षण मे २५५ व्यक्ति और भी उत्पन्न हुए है, और ३०२०० व्यक्ति आपकी कुंडली के ग्रह योग लेकर. अतः यह भ्रम मन से निकाल दे कि ग्रहो के कारण आपके साथ ऐसा हो रहा है।
•अगर ज्योतिष समाधान से आपका भला हो सकता है तो ज्योतिषियों का क्यों नहीं हुआ?-सोचें।
• यदि फिर भी आपको लगता है कि नहीं ज्योतिष सही है और ज्योतिषी ही आपका भविष्य बदल सकते है ! तो आपको कोई नहीँ समझा सकता है कि आपकी कुंडली मे ३६ प्रकार के राज योग क्यों न हो, कर्म हर कीमत पर करने ही पङेगे. इसलिए आपका यह सब पढ़ना बेकार गया। किसी ज्योतिषी के पास जाए और जो बनना हो उसका योग बनवा कर ले आए और चैन से सो जाए - ग्रह सब कर ही देगें !
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