प्रथम प्रधानमंत्री गायब? Part 1

चाचा नेहरू के साथ ये क्या किया भाजपा सरकार ने !
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ यूं तो कई विवाद जुड़े हुए हैं, लेकिन ताजा मामला उनके सम्मान और इतिहास से जुड़ा है. नई पीढ़ी को उनकी शख्सियत और व्यक्तित्व के बखान से जुड़ा है. आजादी के बाद शायद ऐसा पहली बार हुआ है जब उनके महिमामंडन से किसी सरकार ने किनार कर लिया है. सरकार की ओर से नेहरू की उपलब्धियों और आजादी में उनके योगदान को स्कूली पाठ्यक्रम से गायब कर दिया है.
पाठ्यक्रम से नेहरू को लेकर यह नया मामला राजस्थान से जुड़ा है. प्रदेश की भाजपा सरकार ने लम्बे समय बाद स्कूली शिक्षा का पाठ्यक्रम आखिर बदल दिया है. इस बदलाव में सबसे बड़ा बदलाव इतिहास की किताबों में किया गया है. इन किताबों के पन्नों से नेहरू का नाम गायब है.
वसुंधरा राजे सरकार के निर्देशों के बाद पहली से आठवीं तक लगभग सभी विषयों में बड़े बदलाव के साथ किताबें छपी है. ये किताबें इसी सप्ताह से बच्चों के हाथ में पहुंच जाएंगी. इनमें कक्षा छह से आठ तक के पाठ्यक्रम से नेहरू का नाम गायब हुआ है. प्रथम राष्ट्रपति का उल्लेख लेकिन प्रथम प्रधानमंत्री गायब?
इन किताबों में आजादी के महानायकों के नामों का उल्लेख है. असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा, दांडी, सत्याग्रह, भारत छोड़ो आंदोलन में महात्मा गांधी का भी उल्लेख है. देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का सचित्र वर्णन है लेकिन प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का कहीं भी जिक्र नहीं किया गया है. नेहरू को छोड़ किनके योगदान को प्राथमिकता?
इतिहास विषय की इन पाठ्यपुस्तकों में चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव, राजगुरु, पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, चापेकर बंधु, वीर सावरकर, नेताजी सुभाषचंद्र बोस के योगदान का विशेष उल्लेख किया गया है.
बच्चे अकबर महान नहीं पढ़ेंगे?

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