पानी का ठेकेदार तथाकथित इंद्र कहाँ गया
निरर्थक भगवानों का बहिस्कार कीजिये...
आज देश सूखे की भयंकर त्रासदी से गुजर रहा है बिना पानी के इंसान भूखे प्यासे मरने के लिए बाध्य है पशु पक्षी और जानवरों का बहुत बुरा हाल है अन्नदाता किसान बिना पानी मरने और आत्महत्या करने पर मजबूर है मुझे लगता इस त्रासदी से भारत में आज भी कम से कम 33 करोड़ लोग ग्रसित होंगे फिर ब्राम्हणों के निर्दयी 33 करोड़ देवी देवता किधर गए कहाँ गया पानी का ठेकेदार तथाकथित इंद्र कहाँ गया तीनो लोको की रक्षा करने वाला विष्णु. देश की कम से कम तीन चौथाई आबादी चिलम वाले शंकर को पुज कर उसपर भरोषा करती है क्या सिर्फ इसलिए की लोग भूंखे प्यासे मरें .कहाँ गया पर्वत उठाने वाला कृष्ण कहाँ गया पालनहार राम कहाँ गया संकटमोचन हनुमान कहाँ गया सबकुछ देनेवाला गणेश क्या दुर्गा सरस्वती लक्ष्मी काली सभी के आँखों में पट्टी बंधी है कुछ दिखाई नही देता है कहा गया लोगो को मुर्ख बनाकर लूटने वाला साईं और शनि.और मजे की बात यह है कि इस भूख प्यास से मरने वाले वही निरीह निर्दोष लोग है जो रात दिन इन्ही 33 करोड़ धूर्तों के भजन गाते है पशु पक्षी जानवर भी इन्ही की देन है फिर इन्होंने क्या बिगाड़ा जो इन्हें प्यासा मारा जा रहा है सायद इसका जवाब न मूर्खों के पास है न धूर्तों के पास क्योंकि इसका जवाब कुछ हो ही नही सकता है.
लेकिन एक बात तो सच है की ये देश खुद के कुछ करने से चलता है और चलता है बाबा भीम के संविधान से जिन्होंने कहा था उठो जागो और खुद के लिए कुछ करो अन्यथा भूंखे नंगे और प्यासे मरो .तुम जिस पत्थर को पूजकर अपना सत्यानास करते हो अगर उसी पत्थर को सीढ़ी बनाकर अगला कदम बढ़ाओगे तो तुम्हे तुम्हारी सफलतम मंजिल जरूर मिल जायेगी.
अन्यथा आज ऐसे भगवान् का क्या प्रयोजन जो तुम्हे पानी भी नही दे सकता उलटे प्यासा मार रहा है ये वक़्त है खुद के सोचने का और मूर्खता पाखण्ड देवी देवता और भगवानो से बाहर निकलने का अन्यथा भूख प्यास का सिलसिला झूठे मक्कार देवी देवताओं और भगवानो के दम पर सायद कभी खतम नही होगा
लेकिन एक बात तो सच है की ये देश खुद के कुछ करने से चलता है और चलता है बाबा भीम के संविधान से जिन्होंने कहा था उठो जागो और खुद के लिए कुछ करो अन्यथा भूंखे नंगे और प्यासे मरो .तुम जिस पत्थर को पूजकर अपना सत्यानास करते हो अगर उसी पत्थर को सीढ़ी बनाकर अगला कदम बढ़ाओगे तो तुम्हे तुम्हारी सफलतम मंजिल जरूर मिल जायेगी.
अन्यथा आज ऐसे भगवान् का क्या प्रयोजन जो तुम्हे पानी भी नही दे सकता उलटे प्यासा मार रहा है ये वक़्त है खुद के सोचने का और मूर्खता पाखण्ड देवी देवता और भगवानो से बाहर निकलने का अन्यथा भूख प्यास का सिलसिला झूठे मक्कार देवी देवताओं और भगवानो के दम पर सायद कभी खतम नही होगा
सौ- भीम पुत्र अजय अम्बेडकर
जौनपुर उत्तर प्रदेश
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