"भारत" कभी भी 'हिंदूस्थान' नही था ।

( Analysis of हिंदु:-
परशियन डिक्शनरी में हिंदू शब्द का अर्थ
हिनदू = गुलाम, चोर, गंदा ,काला.
हिंदू यह शब्द दो शब्द का बना नही बल्कि तिन शब्द से {हि+न+दू} ऐसा है । उसका अपभ्रष होकर दो शब्द हिंदू ऐसा बन गया है .
< दयानंद सरस्वती स्वयं १८७५ को स्वीकार करते है और उनके "सत्यार्त प्रकाश" इस ग्रंथ में 'हिंदू मुग़ल द्वारा दी हुई गाली है ' ऐसा उल्लेख मिलता है ! उन्होने तो हिंदू समाज स्थापना न करते हुए "आर्य समाज" की स्थापना की.
बाद में मुग़लों ने ही हिंदू को 'हिंदूस्थान' बना दिया और मुग़लों से मिले हुए बामनों ने इस शब्द का स्वीकार किया जो खुद को बामन समझते है हिंदू नही .
( Analysis of हिंदुस्थान :-
हिन = तुच्छ,गंदा
दून= लोक, प्रजा, जनता..
स्थान)=
"भारत" कभी भी 'हिंदूस्थान' नही था ।
इ.स १२ वी सदी के पहले हिंदू शब्द किसी भी ग्रंथ में नही । इसलिए नीचे कुछ काव्य ग्रंथ के नाम दिये है
(ब्राह्मणी ग्रंथ - रामायण, महाभारत, उपनिषध, भगवत गीता, ज्ञानेश्वरी, श्रृति, स्मृति, मनुस्मृति, दासबोध,
४ वेद, १८ पुरान, ६४ शास्त्र किंवा बहुजन संतों के अभंग वाणीमे "हिंदू" शब्द नही !!!.............

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