पाखंड का खंडन

सरस्वती को पूजा भारत ने,
पढ़ा - लिखा जापान हुआ।।
लक्ष्मी पूजन किया भारत ने,
अमेरिका क्यों धनवान हुआ।।
विश्वकर्मा को पूजा भारत ने,
चाइना का उन्नत विज्ञान हुआ।।
यहाँ के देव पशुओं पे सवार हैं,
अमेरिका में वायुयान हुआ।।
ज्योतिषी बताए रुष्ट देवता,
जो पल भर में शैतान हुआ।।
बली मांग रहे देवी - देवता,
कत्लगाह धर्म स्थान हुआ।।
हाथ हथियार उठा रहे देवता,
अमन का बलिदान हुआ।।
धर्म के नाम पर आडंबर हैं,
प्रताड़ित गरीब इंसान हुआ।।
स्वामी अरबों की संपति का,
देवता कितना धनवान हुआ।।
सोना - चांदी चढ रहा निरंतर,
लोकहित का नुकसान हुआ।।
सिल्ला बेचैन किया पाखंड ने,
जो रूढ़िवाद पर हैरान हुआ।।
नमो बुद्धाय

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