भगवान नहीं है तो इस बात पर आपको क्या आपत्ती है?

देखो भैय्या अगर हम कह रहे हैं के
भगवान नहीं है तो इस बात पर आपको क्या आपत्ती है?
ये क्या लगा रख्खा है..??
हमारा भगवान.. हमारा भगवान..
आप मानते हो पुराणों को तो पुराणों के अनुसार इनसानो का निर्माण भगवानों ने किया.. तो ये भगवान सिर्फ तुम्हारा कैसे हुआ..?? भाई आपके पुराणों के अनुसार तो भगवान मेरा भी बनता है..! और मेरे भगवान को मैं जो चाहे बोलु जो चाहे लिखु इस बात से आपके पेट में दर्द क्यों होता है..??
और ये क्या है हर रोज़ बार बार सिर्फ एक ही लाईन हमारे भगवान के बारे में बुरा मत बोलो बुरा मत लिखो..
मतलब भगवान अश्लीलताये रंगरलीया कर सकता है, रासलीला कर सकता है..??
लेकीन हम उसके बारे में लिख और बोल भी नहीं सकते वाँ..??
मतलब तुम्हारा भगवान करे तो लीला और मैं करू तो कैरेक्टर ढीला..??
भैया क्यों अफ़रे जा रहे हो बिना मतलब में ही.?? क्या आपको अपने भगवान पर इतना भी भरोसा नहीं है
कि वो अपनी रक्षा खुद कर सके.?? आप कहते हो वो सबकी रक्षा करने वाला है लेकिन
जिस तरह से आप इसकी रक्षा करने आ जाते
हो उससे तो यही लगता है
वो अपनी खुदकी रक्षा करने में भी सक्षम नहीं है..??
सभी के सभी भगवान अस्त्र- शस्त्र से सुसज्जित हैं ।
कोई चक्र लिए हुए है, कोई तलवार
तो कोई गदा तो कोई त्रिशूल लिए हुए है अरे भाई मैं पूछता हु अगर वो भगवान थे तो उन्हें क्या जरुरत थी अस्र- शस्र की..???
अब आप ये कहोगे की राक्षसो का संहार करने के लिए भगावन अस्र- शस्र इस्तेमाल करते थे,, तो भैया मुझे जरा ये बताये की राक्षको का संहार ही करना था तो राक्षसो को निर्माण करने का मतलब क्या बनता है.??
और अगर वाकई भगवान है..
तो उसके बारे मे मैं जो लिख और बोल रहा हु तो वो देख रहा होगा..
वो भी मुझे देख लेगा...
तो फिर आप क्यों उसकी चिंता में दुबले हुए जा रहे हो.??
कहीं ऐसा तो नहीं कि वो सारे अस्त्र
शस्त्र किसी नाटक मंडली से उधार ले लिए
हो और समय पड़ने पर काम ही ना करते
हो ? अगर भैया जब
वो ही बुरा नहीं मानता जिसको हम कह
रहे हैं तो फिर आप क्यों खामख्वाह नीले
पीले हुए जा रहे हो ?
ऐसा ना हो कि कहीं आप खुद भी गुस्से में
नीलकंठ हो जाएँ । ऐसा भी हो सकता है
कि पीले होकर खून की कमी हो जाये और
आपको कोई रक्तदाता भी नसीब ना हो ।
कहीं ऐसी हालत ना हो जाये कि चले थे हरी भजन को औंटन लगे कपास ।
तो भैया जाओ पहले अपनी सेहत का ख्याल
करो । आपके भगवान ने
तो कभी किसी को कोई अपशब्द
नहीं कहा फिर आप क्यों अपनी जुबान
गंदी करते हो कहीं आपके मुंह में
ही तो किसी ने गंदगी नहीं भर दी..??
अगर ऐसा भी नहीं है तो फिर आप क्यों बार बार
उस भगवान की रक्षा करने के लिए काटने
को दौड़े चले आते हो..??
क्या आप ये मानते
हो कि वो भगवान इतना कमजोर
है जो अपनी रक्षा खुद भी नहीं कर सकता???
क्या भगवान ने अपनी रक्षा के हेतू तुम्हारे
जैसे गुंडे पाल रख्खे हैं? ये भगवान है
या गुंडों का सरदार है? जो आ जाते
हो भगवानों की वकालत करने.??
भाई तुम्हारा भगवान
सबकुछ देखने सुनने वाला है तो फिर
क्यों वो हमारी बातो को भी देख सुनकर चुप
है? लगता है वो सामने आने से डरता है?
क्या इतना ही कमजोर है वो भगवान?
रामायण में तुम बताते हो जब कुम्भकर्ण
ने ब्रह्मा से इन्द्रासन माँगा था तो भगवान ने अपनी जदूरी शक्ति से कुम्भकर्ण की जिव्हा पर सरस्वती बैठा दी थी और
उसके मुख से "इंन्द्रासन" कहने के स्थान पर "निंन्द्रसन" कहलवा दिया था और बेचारे
कुम्भकर्ण को छह महीने तक सोना पड़ता था.
तो भैय्या आपके भगवान को जो चाहिए था वो सरस्वती से आदेश देकर कुंभकर्ण के मुख से "इंद्रासन" की जगह "निंद्रासन" कहलवा दिया..!
तो फिर ऐसा ही कुछ तुम्हारा भगवान हमारे साथ भी ऐसा कर सकता था..??
वो सरस्वती को आदेश देता कि ये
मूर्ख लोग पढ़ ही नहीं पायें ताकि हमारे
विरुद्ध लिख और बोल ना सकें। लेकिन देखिये
हमने लिखना और पढना दोनों सिख
लिया और आपका ईश्वर कुछ भी नहीं कर
सका। अब चलो हम पढ़ लिख
भी लिएतो वो लक्ष्मी को आदेश देता कि इन
लोगो के घर से तुरंत निकल जाओ और
इनको बिलकुल कंगाल कर दो ताकि ये
मोबाइल और कंप्यूटर जैसे उपकरण ना खरीद
सकें और मेरे खिलाफ ना लिख सके लेकिन
यहाँ भी लक्ष्मी और भगवान
दोनों ही बेचारे साबीत नही हुए और आज मेरे
पास कंप्यूटर और मोबाइल दोनों हैं अब
लैपटॉप खरीदने की सोच रहा हूँ। क्या भाव
चल रहा है चलो ये उपकरण खरीद लिए
तो खरीद लिए, कम से कम शनिदेव
को तो आदेश दे सकता था कि इसके मोबाइल
कंप्यूटर परकुदृष्टि डालकर तहस नहस कर
डालो लेकिन उसपर ये भी नहीं हुआ.??
मैंने कभी किसी भगवान को गाली-गलोच नहीं किया सिर्फ पुराणों के अनुसार सच बताकर मुलनिवासी भाई और बहनो की सोच को उजागर करने के लिए पोस्ट किये है, उसमे कुछ सवाल पूछे है...
और अगर मैंने भगवानों को गाली- गलोच किया भी है तो फिर भी आप क्यों बिना मतलब में काले पीले हुए जा रहे हो..??
भगवान सिर्फ आप अकेले का ही नहीं..
पुराणों के अनुसार देखा जाएं तो भगवान मेरा भी है..
ऊसे मैं मानु या ना मानु ईस्से आपको क्या फर्क
पडता है..?? मैं भगवान को जो चाहे बोलु या लिखु ये भगवान का और मेरे बिच का मामला है तुम क्यों बिना मतलब
दलालों की तरह अपनी टांग डाल रहे
हो जाओ भैय्या जाओ अपना काम करो और मुझे भी
अपना काम करने दो..!
देखो भैय्या अब मैने
ईतना तो समझा दिया है अब मेरे पोस्ट पर
गाली गलोच, या वकालत करने मत आना... धन्यवाद..!
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#संजीव_बौद्ध

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