चाल से सावधान रहने की आवश्यकता है
एक भेड़िया कुंआ में गिर गया। उसके कुंआ से निकलने के सभी प्रयास विफल हो गए। तभी बकरियों का एक झुण्ड वहां आया। बकरियों को देख भेडिए को चाल सूझी बोला," बकरी बहन! बकरी बहन यहाँ कुंए के अंदर कितनी हरी-हरी घास है आओ चर लो। बकरी बोली," हमें मूर्ख समझते हो क्या? तुम हमें मारकर खा जाओगे! भेड़िया बोला," नहीं बकरी बहन, मैंने शिकार करना, जीव हत्या करना, मांस खाना छोड़ दिया है। तभी तो यहाँ आकर स्वादिष्ट हरी-हरी घास खा रहा हूँ। बकरियां झांसे में आ गयीं और कुछ बकरियों ने कुंए में छलांग लगा दी। भेड़िया बकरियों की पीठ पर चढ़ कर उछला और कुंए के बाहर आ गया। कुंए के बाहर बची बकरियों को वह मारकर खा गया।
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मनुस्मृति को मानने वाले भी भेड़ियों की प्रकृति के लोग हैं। ये अपने को फंसता /घिरता देख मनुस्मृति भी जलाएंगे क्योंकि मनुस्मृति तो कागज़ की एक पुस्तक है। परंतु इनके मन मस्तिष्क में जो मनुस्मृति लागू करने का प्लान है वो कभी नहीं जलेगा।
जब भी इन्हें मौका मिलेगा ये मनुस्मृति लागू करके ही रहेंगे। इसलिए इनकी ऐसी किसी भी चाल से सावधान रहने की आवश्यकता है बहुजनों! इनके झांसे में कभी मत आना। कभी भी नहीं।
नमोबुद्धाय जयभीम जयभारत
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