देश प्रेम व देश भक्ति कुत्तो की व्यवस्था है क्या?

जिस प्रकार कुत्ते आदि जंगली जानवर अपने मूत से अपने देश की निशानदेही करते है । क्या उसी प्रकार इंसानों ने बोर्डर नही बना रखे है? जिस प्रकार उस मूत बोर्डर के अंदर दूसरा कुत्ता आने पर उसी कुत्ते के बाप भाई माता नातेदार आदि गिरा गिरा के मारते व नोंचते। जरा भी ये नही सोचते क़ि ये मेरे जैसा दिखने वाला रिश्तेदार है मेरा। वैसे ही इंसान भी उस फर्जी बोर्डर रूपी व्यवस्था के आप पास किसी को भी फटकने नही देता है इसी लिए हर वक्त गोली वारी करने को आतुर रहते हुए एक इंसान दूसरे इंसान की जान लेता व देता है। लेकिन उस हत्या को हत्या न कहके शहीद या शहादत तथा उस कुकर्म को देशभक्ति व देशप्रेम बोला जाता है। उसपर यदि कोई इंसानियत की बात करे तो वो देशद्रोही कहलाता है। (क्या तथागत बुद्ध, अंगुलिमाल हत्यारे को हिंसा से विरत करने वाले पहले देशद्रोही नही थे? ) ऐसा कहके अपने पाप पर पर्दा डाला जाता है। जिस क्षेत्र की रखवाली करते हुए जान ली व दी जाती है उसी को "देश" बोला जाता है। शायद कुत्ते भी अपने मूत्र देश की रखवाली करने वालो को देश प्रेमी व शहीद ही बोलते होंगे। जब कोई उनका ही साथी इस पर सवाल उठाता होगा तो उसे भी दूसरे संघी कुत्ते देशद्रोही बोलते होंगे।। शायद गीता का उपदेश उस वक्त भूल जाते होंगे क़ि न कुछ तेरा न कुछ मेरा ये दुनिया रैन बसेरा आदि। अर्थात एक इंसान अगर दूसरे इंसान के साथ इंसानियत की बात व व्यवहार करे तो वो देशद्रोही कहा जाता है। ये बात कुत्तो के खानदान मे तो ठीक समझी जा सकती है क्यों क़ि वो कुत्ते है। लेकिन संघी मनुमानुशों ने अपनी मूत्र देश की कोई मूत्र सीमा भी नही बनाई , फिर ये कैसा देश व कैसा देश प्रेम उनका? क्या ये देश प्रेम व देश भक्ति कुत्तो की ,कुत्तो के लिए व कुत्तो के द्वारा निर्मित व्यवस्था नही है? फिर चाहे वो संघी कुत्ते ही क्यों न हो।
सौ - डॉ बिनोद दोहरे

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