तब तुम क्या करोगे?
यदि तुम्हें,
धकेलकर गांव से बाहर कर दिया जाये
पानी तक न लेने दिया जाये कुएं से
दुत्कारा फटकारा जाये चिल-चिलाती दोपहर में
कहा जाये तोड़ने को पत्थर
काम के बदले
दिया जाये खाने को जूठन
तब तुम क्या करोगे?
यदि तुम्हें,
मरे जानवर को खींचकर
ले जाने के लिए कहा जाय
और
कहा जाये ढोने को
पूरे परिवार का मैला
पहनने को दी जाय उतरन
तब तुम क्या करोगे ?
यदि तुम्हें,
पुस्तकों से दूर रखा जाये
जाने नहीं दिया जाये
विद्या मंदिर की चौखट तक
ढिबरी की मंद रोशनी में
काली पुती दीवारों पर
ईसा की तरह टांग दिया जाये
तब तुम क्या करोगे?
यदि तुम्हें,
रहने को दिया जाये
फूस का कच्चा घर
वक्त-बे-वक्त फूंक कर जिसे
स्वाहा कर दिया जाये
बर्षा की रातों में
घुटने-घुटने पानी में
सोने को कहा जाय
तब तुम क्या करोगे?
यदि तुम्हें,
नदी के तेज बहाव में
उल्टा बहना पड़े
दर्द का दरवाजा खोलकर
भूख से जूझना पड़े
भेजना पड़े नई नवेली दुल्हन को
पहली रात ठाकुर की हवेली
तब तुम क्या करोगे?
यदि तुम्हें,
अपने ही देश में नकार दिया जाये
मानकर बंधुआ
छीन लिए जायं अधिकार सभी
जला दी जाय समूची सभ्यता तुम्हारी
नोच-नोच कर
फेंक दिए जाऐं
गौरव में इतिहास के पृष्ठ तुम्हारे
तब तुम क्या करोगे?
यदि तुम्हें,
वोट डालने से रोका जाये
कर दिया जाये लहू-लुहान
पीट-पीट कर लोकतंत्र के नाम पर
याद दिलाया जाये जाति का ओछापन
दुर्गन्ध भरा हो जीवन
हाथ में पड़ गये हों छाले
फिर भी कहा जाये
खोदो नदी नाले
तब तुम क्या करोगे?
यदि तुम्हें ,
सरे आम बेइज्जत किया जाये
छीन ली जाये संपत्ति तुम्हारी
धर्म के नाम पर
कहा जाये बनने को देवदासी
तुम्हारी स्त्रियों को
कराई जाये उनसे वेश्यावृत्ति
तब तुम क्या करोगे?
साफ सुथरा रंग तुम्हारा
झुलस कर सांवला पड़ जायेगा
खो जायेगा आंखों का सलोनापन
तब तुम कागज पर
नहीं लिख पाओगे
सत्यम, शिवम, सुन्दरम!
देवी-देवताओं के वंशज तुम
हो जाओगे लूले लंगड़े और अपाहिज
जो जीना पड़ जाय युगों-युगों तक
मेरी तरह?
तब तुम क्या करोगे?
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