कन्हैया कुमार का भाषण एक अम्बेडकरवाद की भाषा या फिर 5 राज्यों में इलेक्शन की तैयारी

1 प्रश्न सबके लिए?

दिनाक (03.03.2016) को रात्रि 10 बजे से 11 बजे तक कन्हैया कुमार का भाषण सभी ने सुना।

भाषण को जब "एक अम्बेडकरवादी विचारक" सुना तब माज़रा कुछ और ही आया।

यह बात सही है कि यह एक जोशीला और anti-बीजेपी भाषण था। यह सही है कि यह एक एंटी-आरएसएस भाषण था। यह सही है कि भाषण बाबा साहेब के नाम और संविधान की महत्ता से लिप्त था।

मगर प्रश्न आज भी हमारा अधूरा है?
डॉ रोहित वेमुला की लड़ाई आज भी अधूरी है!
बाबा साहेब का विज़न मिशन आज भी अधूरा है!

मै कन्हैया की भाषण की तारीफ़ करता हूँ मगर साथ में मै उन सभी लोगो को चेतावनी भी देता हूँ जो "बाबा साहेब के सपनो का भारत" चाहते है। कन्हैया कुमार द्वारा दिया गया भाषण और शब्द हमारे थे मगर हम हाइजैक किये जा रहे है, हमारे लोग trap हो रहे है। अम्बेडकरवादी विचारधारा dilute हो रही है।

डॉ रोहित वेमुला की लड़ाई में अम्बेडकरवाद  की आग थी वह आग कंही न कंही हमने खो दी। आईये ज़रा नीचे की कुछ लाइनों पर गौर करे--

1) हमारी लड़ाई सुरु हुई IIT मद्रास से, हैदराबाद से (रोहित)  ... एक लड़ाई बाबा साहेब के विचारों की जिससे ब्राह्मणवाद नंगा हुआ और देश अम्बेडकरवाद के झंडे के नीचे एक हुआ, (obc/sc/st/minority) की एकता हुई और जिसका फायदा अम्बेडकरवादी पार्टियों को होता मगर ऐसा नहीं हो पाया या ऐसा नहीं करने दिया गया।

2) क्या कन्हैया कुमार के भाषण में डॉ रोहित वेमुला की लड़ाई जोकि (institutional discrimination) की थी , कंही मिला ? नहीं मिला।

3) ऐसी कई घटनाएं हुई बाबा साहेब के समय भी और कांशीराम साहेब के समय भी। मगर कोई भी बहुजन बाबा साहेब और कांशीराम साहेब को नहीं छोड़े या यूं कहे बाबा साहेब और कांशीराम साहेब ने बहुजनो को भटकने नहीं दिया।

4) अभी आपको मै बता दू कि JNU में जो कुछ भी हुआ उसका सीधा फायदा किसको होगा! अभी मई 2016 में 5 राज्यों में चुनाव होने है।

1- केरल
2- पश्चिम बंगाल
3- तमिलनाडु
4- असम
5- पोंदिचेरी

इन पांच राज्यों में अगर बहुजन बीजेपी से हटाये जायेंगे तो यह तय है कि कन्हैया कुमार के भाषण से पूरा का पूरा बहुजन (85%) मूलनिवासी कांग्रेस और कम्युनिस्ट की तरफ होगा। और जैसा कि ऊपर के 5चो राज्यों में इनकी प्रबल विचारधारा है।

तो हुआ क्या? हमें कोई फर्क नहीं पड़ता कि इनकी पार्टीयो को फायदा पहुंचे या नहीं मगर क्या ऐसा होने से हमारी विचारधारा का अधिकारों के रूप में अमल होगा। क्या 85% समाज का अपने अधिकारों का हक़दार हो पायेगा।

JNU का यह केस काफी उत्साह पूर्वक रहा जिसका सीधा फायदा 5 राज्यों में होने वाले इलेक्शन के चलते श्री येचुरी और कांग्रेस  को होगा।  और फिर हमारी मेहनत का फल कोई और खायेगा।

भारत में नक्सलवाद की बात कर क्या गरीब आदिवासियों को उनका अधिकार मिला?
क्या बंगाल में गरीबो को अधिकार मिला?
वंहा पर तो कई सालो से इनकी सरकार रही। तो जो काम UP में हुआ अम्बेडकरवाद के नाम पर तो वह काम बंगाल में क्यों नहीं हुआ? यह सोचने वाली बात है।

✒तो सिर्फ सरकार बनाने की ओहा-पोह से जो जुमले आते है उससे हमारा कोई फायदा नहीं। यही बाबा साहेब कहते थे। कि हमारे अधिकारो की बात करने वालो पर मुझे विश्वास नहीं कि वे हमारा भला सोचेंगे। अगर ऐसा होता तो आज श्री येचुरी एंड कांग्रेस के लोग डॉ रोहित वेमुला के साथ हुए institutional discrimination की बात करते हुए आन्दोलन करते न कि 5 राज्यों का इलेक्शन देखते हुए प्लानिंग करते।

✒हमारी ही बात होती है फिर भी हमें अधिकार माहि मिलता क्योंकि हम सब भटक जाते है और बाबा का रास्ता छोड़ देते है।

✒उम्मीद करता हूँ इनकी सरकारे बनने के बाद शायद अम्बेडकरवाद की बात करे और डॉ रोहित वेमुला की लड़ाई का result दे।

✒कंही ऐसा न हो कि अन्ना हजारे के बहकाव में हमने केजरीवाल को लिया और कन्हैया के साथ श्री येचुरी और कांग्रेस को लेकर हमलोग दिल्ली और पंजाब के साथ साथ इन पान्चो राज्यों में अम्बेद्कवाद को ही ख़त्म कर दे।

याद रहे.....

डॉ रोहित वेमुला की लड़ाई अभी बाकी है...
और
बाबा साहेब का मिशन अभी बाकी है...
BE AWARE RIGHTIST & LEFTIST PEOPLE,
BE AMBEDKRITE
सौ : जय भीम ग्रुप

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