लोकतंत्र दिन को "काला दिन" मनाने वालो पर अब तक देशद्रोह की कारवाई नहीं हुई है..
देश द्रोह की सुप्रीम कोर्ट ने व्याख्या की है
" देश के विरोध में कृती करना "
भारत देश में जब से आक्रमणकारी विदेशी आर्यब्राम्हण आए हैं, तब से लेकर आजतक यह ब्राम्हण देश विरोधी कृती करते आ रहे हैं, और आज भी करते हैं ।
विदेशी आर्यब्राम्हण भारत देश में आने के पहले यहाँ एकसंघ समाज था ।
विदेशी आर्यब्राम्हणो ने एकसंघ भारतीय समाज को जाती-जाती में बांट दिया ।
जाती के आधार पर भेदभाव किया गया ।
भारतीय समाज को मानवी मूल्ये,अधिकार नकारे गए । यह सब कृतीयाॅ अमानवीय, समाज द्रोही, राष्ट्र द्रोही, देश विरोधी कृती है । जो आज भी होती है । देश में हर दिन ऐसी कई घटनाएं घटती है । परंतु आज तक किसी समाज घातकी,देश घातकी, विदेशी आर्यब्राम्हणो पर देश द्रोह का गुनाह नहीं लगाया गया ।"समाज को तोडना मतलब देश को तोडना है"।और यह काम ब्राम्हणों का ब्राम्हणवाद करता है इसलिए देश में "सबसे बड़ा आंतकवाद, ब्राम्हणवाद है "।और इसे ब्राम्हणो का संघटन " राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ " आरएसएस चलाता है । आर एस एस अपनी कई संगठन जैसे एबीवीपी, बजरंग दल, भा.ज.प, विश्व हिन्दू परिषद,हिन्दू महासभा, सनातन संस्था र्इत्यादी के माध्यम से देश में ब्राम्हणवाद का काम करते रहते है ।और ब्राम्हणी व्यवस्था को बरकरार रखने का काम करते रहते है । "लोकतंत्र दिन"(26 जनवरी )
को "काला दिन मनाना " यह देश विरोधी कृती है, तो भी लोकतंत्र दिन को " काला दिन" मनाने वालो पर अब तक देश द्रोह की कारवाई नहीं हुई है । भारत देश के आजादी के आंदोलन में आर एस एस के लोग नहीं थे, इनके नेताओं ने ब्रिटिश सरकार को लिखकर दिया था कि, हमारा भारत देश के आजादी के आंदोलन से कोई संबंध नहीं है । यह देश के विरोध में कृती है । इस देश का नाम "भारत " है । और यह नाम संविधान समिति ने सर्वसम्मति से मंजूर किया गया है । तो भी आर एस एस के विदेशी आर्यब्राम्हण भारत देश को हिन्दूस्तान कहते हैं। यह देश विरोधी कृती है । आर एस एस के विदेशी आर्यब्राम्हण भारत देश में अलग-अलग विवाद कर के मूलभारतीयों में झगड़े लगाने का काम करते हैं । जैसे जातीवाद, प्रांतवाद, भाषावाद, मंदिर वाद, गायवाद, उच्च-ऐनिच्च वाद, हिंदू - मुस्लिम वाद, हिंदू - इसाई वाद इत्यादी वाद निर्माण करके मूलभारतीय समाज में झगड़े लगाने का काम करते रहते है । और देश में अशांति रहे, इसके लिए का काम करते रहते है । यह काम समाज और राष्ट्र निर्माण में बाधा उत्पन्न करने वाला काम है । और यह काम विदेशी आर्यब्राम्हण सदियों से करते आ रहे है, और आज भी करते हैं । इन जातीवादी, विषमतावादी विदेशी आर्यब्राम्हणो के ब्राम्हणी व्यवस्था के विरोध में, कोई मूलभारतीय मानवी मूल्यों के आधार पर अगर बात करता है, बोलता है, तो उस पर देश विरोधी कारवाई की जाती है । यह "उल्टा चोर, कोतवाल को डांटे," जैसा है ।
जो मूलभारतीय संविधान की बात करते हैं, अपने अधिकारों की बात करते हैं, विदेशी आर्यब्राम्हण उसे देश विरोधी कहते हैं । हैदराबाद विश्वविद्यालय का रोहीत वेमूला, जो कि "पी एच डी.की पढाई कर रहा था । वह भारतीय संविधान ने हर भारतीयोंको दिए, अपने अधिकारों के प्रति जागृत था, यही बात विदेशी आर्यब्राम्हणो के आर एस एस सरकार को नहीं जची। रोहित वेमूला समतावादी राष्ट्रपिता ज्योतीबा फुले, राष्ट्रनायक शाहु महाराज , राष्ट्रनिर्माते डाॅ. बाबासाहेआंबेडकर, पेरियार रामसामी इन भारतीय महापुरुषोंके विचारों का प्रतिनिधित्व करता था । मानवी मूल्यों के विचारों का आदान-प्रदान करता था । और उसी विश्वविद्यालय में विषमतावादी, जातीयवादी,विदेशी आर्यब्राम्हणो का आर एस एस का कार्यरत संघटन " एबीवीपी " को रोहीत के विचारों से बाधा उत्पन्न हुई, उसके साथ जाती के आधार पर भेदभाव किया गया । उसे प्रताड़ित किया गया । उसका दमन,शोषण किया गया । विश्वविद्यालय से, होस्टल से,लायब्रेरी से संस्था के पूरे परिसर से रोहित और उसके साथी को बाहर निकाला गया । वह आम रस्ते पर रहे ।और आखिरकार जातीवादी, विषमतावादी ब्राम्हणी व्यवस्था ने रोहित को बली चढा दिया गया । यह ब्राम्हणी व्यवस्था का "Institutional Murder" है । यह देश विरोधी कृत्ये है । और आर एस एस सरकार ने अपने देश विरोधी ओ पर अब तक कोई कारवाई नहीं की है ।
देश में ऐसे मूलभारतीयोंको, समतावादी, मानवी मूल्यों का आदान-प्रदान करने से, विषमतावादी विदेशी आर्यब्राम्हणो को बाधा उत्पन्न हुई, उसके कारण कई मूलभारतीयोंको अपने प्राण गंवाए पडे ।
"सामाजिक समता राष्ट्र निर्माण है । और विदेशी ब्राम्हण इसके विरोध में है।"
सामाजिक समता और राष्ट्र निर्माण के लिए जिन मूलभारतीयों ने काम किए,उनके साथ विदेशी आर्यब्राम्हणो ने दूर्व्यवहार किये हैं, उनकी हत्याएँ की गयी है । हत्या के प्रयास किए गए हैं । उनके साथ छल कपट किए गए हैं । और यह सब, जब से आक्रमणकारी विदेशी आर्यब्राम्हण भारत देश में आए हैं, तब से लेकर आजतक इनके करतूतें जारी है ।
" देश के विरोध में कृती करना "
भारत देश में जब से आक्रमणकारी विदेशी आर्यब्राम्हण आए हैं, तब से लेकर आजतक यह ब्राम्हण देश विरोधी कृती करते आ रहे हैं, और आज भी करते हैं ।
विदेशी आर्यब्राम्हण भारत देश में आने के पहले यहाँ एकसंघ समाज था ।
विदेशी आर्यब्राम्हणो ने एकसंघ भारतीय समाज को जाती-जाती में बांट दिया ।
जाती के आधार पर भेदभाव किया गया ।
भारतीय समाज को मानवी मूल्ये,अधिकार नकारे गए । यह सब कृतीयाॅ अमानवीय, समाज द्रोही, राष्ट्र द्रोही, देश विरोधी कृती है । जो आज भी होती है । देश में हर दिन ऐसी कई घटनाएं घटती है । परंतु आज तक किसी समाज घातकी,देश घातकी, विदेशी आर्यब्राम्हणो पर देश द्रोह का गुनाह नहीं लगाया गया ।"समाज को तोडना मतलब देश को तोडना है"।और यह काम ब्राम्हणों का ब्राम्हणवाद करता है इसलिए देश में "सबसे बड़ा आंतकवाद, ब्राम्हणवाद है "।और इसे ब्राम्हणो का संघटन " राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ " आरएसएस चलाता है । आर एस एस अपनी कई संगठन जैसे एबीवीपी, बजरंग दल, भा.ज.प, विश्व हिन्दू परिषद,हिन्दू महासभा, सनातन संस्था र्इत्यादी के माध्यम से देश में ब्राम्हणवाद का काम करते रहते है ।और ब्राम्हणी व्यवस्था को बरकरार रखने का काम करते रहते है । "लोकतंत्र दिन"(26 जनवरी )
को "काला दिन मनाना " यह देश विरोधी कृती है, तो भी लोकतंत्र दिन को " काला दिन" मनाने वालो पर अब तक देश द्रोह की कारवाई नहीं हुई है । भारत देश के आजादी के आंदोलन में आर एस एस के लोग नहीं थे, इनके नेताओं ने ब्रिटिश सरकार को लिखकर दिया था कि, हमारा भारत देश के आजादी के आंदोलन से कोई संबंध नहीं है । यह देश के विरोध में कृती है । इस देश का नाम "भारत " है । और यह नाम संविधान समिति ने सर्वसम्मति से मंजूर किया गया है । तो भी आर एस एस के विदेशी आर्यब्राम्हण भारत देश को हिन्दूस्तान कहते हैं। यह देश विरोधी कृती है । आर एस एस के विदेशी आर्यब्राम्हण भारत देश में अलग-अलग विवाद कर के मूलभारतीयों में झगड़े लगाने का काम करते हैं । जैसे जातीवाद, प्रांतवाद, भाषावाद, मंदिर वाद, गायवाद, उच्च-ऐनिच्च वाद, हिंदू - मुस्लिम वाद, हिंदू - इसाई वाद इत्यादी वाद निर्माण करके मूलभारतीय समाज में झगड़े लगाने का काम करते रहते है । और देश में अशांति रहे, इसके लिए का काम करते रहते है । यह काम समाज और राष्ट्र निर्माण में बाधा उत्पन्न करने वाला काम है । और यह काम विदेशी आर्यब्राम्हण सदियों से करते आ रहे है, और आज भी करते हैं । इन जातीवादी, विषमतावादी विदेशी आर्यब्राम्हणो के ब्राम्हणी व्यवस्था के विरोध में, कोई मूलभारतीय मानवी मूल्यों के आधार पर अगर बात करता है, बोलता है, तो उस पर देश विरोधी कारवाई की जाती है । यह "उल्टा चोर, कोतवाल को डांटे," जैसा है ।
जो मूलभारतीय संविधान की बात करते हैं, अपने अधिकारों की बात करते हैं, विदेशी आर्यब्राम्हण उसे देश विरोधी कहते हैं । हैदराबाद विश्वविद्यालय का रोहीत वेमूला, जो कि "पी एच डी.की पढाई कर रहा था । वह भारतीय संविधान ने हर भारतीयोंको दिए, अपने अधिकारों के प्रति जागृत था, यही बात विदेशी आर्यब्राम्हणो के आर एस एस सरकार को नहीं जची। रोहित वेमूला समतावादी राष्ट्रपिता ज्योतीबा फुले, राष्ट्रनायक शाहु महाराज , राष्ट्रनिर्माते डाॅ. बाबासाहेआंबेडकर, पेरियार रामसामी इन भारतीय महापुरुषोंके विचारों का प्रतिनिधित्व करता था । मानवी मूल्यों के विचारों का आदान-प्रदान करता था । और उसी विश्वविद्यालय में विषमतावादी, जातीयवादी,विदेशी आर्यब्राम्हणो का आर एस एस का कार्यरत संघटन " एबीवीपी " को रोहीत के विचारों से बाधा उत्पन्न हुई, उसके साथ जाती के आधार पर भेदभाव किया गया । उसे प्रताड़ित किया गया । उसका दमन,शोषण किया गया । विश्वविद्यालय से, होस्टल से,लायब्रेरी से संस्था के पूरे परिसर से रोहित और उसके साथी को बाहर निकाला गया । वह आम रस्ते पर रहे ।और आखिरकार जातीवादी, विषमतावादी ब्राम्हणी व्यवस्था ने रोहित को बली चढा दिया गया । यह ब्राम्हणी व्यवस्था का "Institutional Murder" है । यह देश विरोधी कृत्ये है । और आर एस एस सरकार ने अपने देश विरोधी ओ पर अब तक कोई कारवाई नहीं की है ।
देश में ऐसे मूलभारतीयोंको, समतावादी, मानवी मूल्यों का आदान-प्रदान करने से, विषमतावादी विदेशी आर्यब्राम्हणो को बाधा उत्पन्न हुई, उसके कारण कई मूलभारतीयोंको अपने प्राण गंवाए पडे ।
"सामाजिक समता राष्ट्र निर्माण है । और विदेशी ब्राम्हण इसके विरोध में है।"
सामाजिक समता और राष्ट्र निर्माण के लिए जिन मूलभारतीयों ने काम किए,उनके साथ विदेशी आर्यब्राम्हणो ने दूर्व्यवहार किये हैं, उनकी हत्याएँ की गयी है । हत्या के प्रयास किए गए हैं । उनके साथ छल कपट किए गए हैं । और यह सब, जब से आक्रमणकारी विदेशी आर्यब्राम्हण भारत देश में आए हैं, तब से लेकर आजतक इनके करतूतें जारी है ।
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