विचार बाबा साहब के तू अपनाकर तो देख
कपड़े तो रोज़ बदले हैं तूने,
कभी विचार बदल कर देख!
माथा तो रोज़ टेका होगा,
आज सर उठा कर तो देख!
किस्मत फूटी रहती थी तेरी,
भाग्य तारा चमका के तो देख!
असमानता के गंदे घर में ,
महक सभ्यता की ला तो देख
रोके तरक्की के क़दम पाखंड ने आज तक,
उस अंधविस्वास को ठोकर मारके तो देख,
फ़िर देख तेरी ऊचाईयों का कोई सानी ना होगा ।
विचार बाबा साहब के तू अपना कर तो देख I
जय भीम। नमो बुद्धाय।
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