गौतम बुद्ध के विचार

चार आर्य सत्य
1. दुनिया में दुःख है।
2. दुखों की कोई-न-कोई वजह है।
3. दुखों का निवारण मुमकिन है।
4. दुःख निवारण का मार्ग है ।
- दुखों की मूल वजह अज्ञान है। अज्ञान के
कारण ही इंसान मोह-माया और तृष्णा में
फंसा रहता है।
- अज्ञान से छुटकारा पाने के लिए
अष्टांग मार्ग का पालन है : 1. सही
समझ, 2. सही विचार, 3. सही वाणी, 4.
सही कार्य, 5. सही आजीविका, 6. सही
प्रयास, 7. सही सजगता और 8. सही
एकाग्रता।
- साधना के जरिए सर्वोच्च सिद्ध
अवस्था को पाया जा सकता है। यही
अवस्था बुद्ध कहलाती है और इसे कोई भी
पा सकता है।
- इस ब्रह्मांड को चलानेवाला कोई नहीं
है और न ही कोई बनानेवाला है।
- न तो ईश्वर है और न ही आत्मा। जिसे
लोग आत्मा समझते हैं, वह चेतना का
प्रवाह है। यह प्रवाह कभी भी रुक
सकता है।
- भगवान और भाग्यवाद कोरी कल्पना
है, जो हमें जिंदगी की सचाई और
असलियत से अलग कर दूसरे पर निर्भर
बनाती है।
- पांचों इंद्रियों की मदद से जो ज्ञान
मिलता है, उसे आत्मा मान लिया जाता
है। असल में बुद्धि ही जानती है कि क्या
है और क्या नहीं। बुद्धि का होना ही
सत्य है। बुद्धि से ही यह समस्त संसार
प्रकाशवान है।
- न यज्ञ से कुछ होता है और न ही
धार्मिक किताबों को पढ़ने मात्र से।
धर्म की किताबों को गलती से परे
मानना नासमझी है। पूजा-पाठ से पाप
नहीं धुलते।
- जैसा मैं हूं, वैसे ही दूसरा प्राणी है। जैसे
दूसरा प्राणी है, वैसा ही मैं हूं इसलिए न
किसी को मारो, न मारने की इजाजत
दो।
- किसी बात को इसलिए मत मानो कि
दूसरों ने ऐसा कहा है या यह रीति-
रिवाज है या बुजुर्ग ऐसा कहते हैं या
ऐसा किसी धर्म प्रचारक का उपदेश है।
मानो उसी बात को, जो कसौटी पर
खरी उतरे। कोई परंपरा या रीति-
रिवाज अगर मानव कल्याण के खिलाफ है
तो उसे मत मानो।
- खुद को जाने बगैर आत्मवान नहीं हुआ जा
सकता। निर्वाण की हालत में ही खुद को
जाना जा सकता है।
- इस ब्रह्मांड में सब कुछ क्षणिक और
नश्वर है। कुछ भी स्थायी नहीं। सब कुछ
लगातार बदलता रहता है।
- एक धूर्त और खराब दोस्त जंगली
जानवर से भी बदतर है, क्योंकि जानवर
आपके शरीर को जख्मी करेगा, जबकि
खराब दोस्त दिमाग को जख्मी करेगा।
- आप चाहे कितने ही पवित्र और अच्छे
शब्द पढ़ लें या बोल लें, लेकिन अगर उन
पर अमल न करें, तो कोई फायदा नहीं।
- सेहत सबसे बड़ा तोहफा है, संतुष्टि सबसे
बड़ी दौलत और वफादारी सबसे अच्छा
रिश्ता है।
- अमीर और गरीब, दोनों से एक जैसी
सहानुभूति रखो क्योंकि हर किसी के
पास अपने हिस्से का दुख और तकलीफ है।
बस किसी के हिस्से ज्यादा तकलीफ आती
है, तो किसी के कम।
- हजारों लड़ाइयां जीतने से बेहतर खुद
पर जीत हासिल करना है। आपकी इस
जीत को न देवता छीन सकते हैं, न दानव,
न स्वर्ग मिटा सकता है, न नरक।
- इंसान को गलत रास्ते पर ले जानेवाला
उसका अपना दिमाग होता है, न कि
उसके दुश्मन।
- शक से बुरी आदत कोई नहीं होती। यह
लोगों के दिलों में दरार डाल देती है।
यह ऐसा जहर है, जो रिश्तों को कड़वा
कर देता है। ऐसा कांटा है, जो घाव और
तकलीफ देता है। यह ऐसी तलवार है, जो
मार डालती है।
- गुस्से के लिए आपको सजा नहीं दी
जाएगी, बल्कि खुद गुस्सा आपको सजा
देगा
सौ : www.amarbodhi.org

Comments

Popular posts from this blog

ना हिंदू बुरा है ना मुसलमान बुरा है जिसका किरदार बुरा है वो इन्सान बुरा है. .

क्या वाल्मीकि जी मेहतर/भंगी थे?

हर चमार महापंडित है सूर्यवंशी हैं