क्या भविष्यमे किसान भारतीय राष्ट्रवाद को खतरा पैदा करेंगे?
रोहित वेमुला और कन्हैय्याकुमार को न्याय मिलनाही चाहिये. लेकीन अगर किसान आत्महत्या, महंगाई, पुराना-नया काला धन जैसे महत्वपूर्ण सवालोंको दबानेके लिये भाजपाद्वारा जे एन यु कांड जानबुझके उछाला गया है तो भाजपा कि इस रणनितीका सक्षम प्रतिवाद भी जरुरी है यह बात विपक्ष ठीकसे समझ ले. विदर्भ, मराठवाडा, बुंदेलखंड, तेलंगाणा और ऐसे कई इलाकेमे किसानोंकी स्थिती बेहद गंभीर है. संसद अगर इससे बेखबर रहेगी तो अंततः नुकसान भारतीय समाज का ही होगा. सच मानो तो यह मुद्दा भी भविष्य मे राष्ट्रवाद के लिये खतरा साबित हो सकताहै. आखिर किसान कबतक आत्महत्या करेगा. उसकी दुसरी पिढी अगर हथियार उठाने पर मजबूर हो गयी तो दोष तो उन सभी सरकारोंका होगा जिन्होने धर्म-जातीके अस्मिता-अहंकारवादी नकली सवाल पैदा करके तथा उनसे उलझनेका नाटक करते हुये किसान और खेतीसे जुडे सवालोंकी अनदेखी की!!!
सौ - सुभाष वारे
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