काश मेरी ही बिरादरी वाले मुझसे लड़े न होते तो.??

एक बार कुत्ते और गधे में शर्त लगी कि जो दौड़ कर पहले पहुचेगा वो सत्ता के सिंहासन पर बैठकर राज़ करेगा....

दौड़ शुरु हुई....

कुत्ता खुश था....
उसने सोचा वो तो तेज़ दोडता है....
गधे को तो यूँ ही हरा देगा....

पर उसे क्या मालूम था की हर एक मुहल्ले चौक पर बहुत से कुत्ते हैं और वो उसे आगे जाने ही नही देगे....

हुआ भी ऐसा ही.....
हर चौक पर स्थानीय कुत्तों ने उस पर जानलेवा हमला किया....
वो बहुत से कुत्तों से लड़ता हुआ जैसे तैसे पहुंच गया....

लेकिन वहाँ जाकर देखा कि गधा सत्ता के सिंहासन पर बैठकर राज कर रहा है.....

हताश घायल कुत्ता बोला....
काश मेरी ही बिरादरी वाले मुझसे लड़े न होते तो..?
ये गधा इस सिंहासन तक कभी नही पहुंच पाता....

जरा सोचिए गलती कहाँ हो रही है.
उदाहरण जानवरों का जरूर हैं पर बात तो इंसानों के लिये सोचने वाली हैं !!

‪एक बनो नेक बनो‬

Comments

Popular posts from this blog

ना हिंदू बुरा है ना मुसलमान बुरा है जिसका किरदार बुरा है वो इन्सान बुरा है. .

क्या वाल्मीकि जी मेहतर/भंगी थे?

हर चमार महापंडित है सूर्यवंशी हैं