औकात पर आ जाते हैं लोग
थोड़ा सा खुल कर बात भी करे
तो औकात पर आ जाते हैं लोग ...
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लड़कियाँ बेचारी क्या करें
अपनी असली जात पर आ जाते हैं
लोग ...
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वो चाहती हैं
दोस्ती,पिकनिक, हंसी, मजाक,
मसखरी ...
पर उन्हें जो नापसंद है
उसी बात पर आ जाते हैं लोग ...
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.कुछ दिनों में उतर जाता है
चेहरे पर चढ़ा नकली रंग ...
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मौका मिलते हीअसली ख्यालात पर
आ जाते हैं लोग ...
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उनके लिए लडकियों की जिंदगी
शतरंज की बिसात से ज्यादा नहीं ...
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सोच समझ कर जाल बिछाते हैं
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और सीधे मात पर आ जाते हैं लोग ...
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क्यों न बन जाएचारदीवारी उनका
आशियाना ...
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वो चाहती हैं दिन के उजाले
मगर रात वाली हरकतों पर आ जाते हैं
लोग...
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