"अवार्ड वापसी पार्ट -2"
2014 में नई सरकार के बनने से कुछ बेलगाम मन्त्रियों के बयानों व हरकतों ने सरकार के मुख्यिाओं की नींद हराम कर दी थी पर आकाओं के कहने पर प्रधान सेवक जी ने महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दों पर ऐसी चुप्पी साधी कि सब confused हो गए कि यार जनाब extrovert से introvert कब बनते हैं पता ही नहीं चलता.फिर ऐसे समय में ही देशभर के बुद्धिजीवी वर्ग का मन कचोटने लगा चाहे वो कलबुर्गी हत्याकांड हो या दादरी घटना हो या सुनपेड़ काडं. अपना विरोध जताने के लिए इस वर्ग ने चाहे वो कलाकार,लेखक,चित्रकार, मूर्तिकार आदि कोई भी हो बहुत ही कारगर व मारक क्षमता वाला तरीकाअपनाया-- अपने अवार्डस वापिस लौटा कर.पर ऐसे समय पर चमचों और अन्धभक्तों की जमात बुद्धिजीवी वर्ग के विरोध में खड़ी हो गई खेर साहब के नेतृत्व में संसद तक मार्च करने के लिए.अब बारी आई इस बार के पुरस्कार वितरण की तो अन्धा बांटे रेवड़ियां अपने-अपनों को दे क्योंकि"सबका साथ-सबका विकास" बस एक चुनावी जुमला भर था यह बात हमें इस तरह पता लगती है कि
पद्मविभूषण 10 को जिसमें सवर्ण 10, पिछड़ा 0, दलित 0, अल्पसंख्यक 0।
पद्मभूषण 19 को जिसमें सवर्ण 17, पिछड़ा 0, दलित 0, अल्पसंख्यक 2।
पद्मश्री 83 को जिसमें सवर्ण 79, पिछड़ा 1, दलित 0, अल्पसंख्यक 3।
अब ये पुरस्कार पाने वाले कुछ तो वैसे ही अन्धभक्त हैं कि तुम दिन को अगर रात कहो तो रात कहेंगें और बाकियों को येन-केन-पर्कारेण इस बात के लिए तैयार कर लिया जाएगा कि अगली सरकार अगर दूसरी पार्टी की आ गई तो हर छोटी से छोटी घटना पर ये भी अवार्डस वापिस कर सकें.कुछ को मीडिया फुटेज मिलेगी और कुछ अन्धभक्ति व वफादारी दिखाऐंगें.धूम और गोलमाल श्रंखला(series) के अलावा आना वाला युग politically motivated अवार्ड वापसी पार्ट 2,3,4 etc.द्वारा आम जन का बहुत मनोरंजन करेगा.
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