अब सुमित्रा महाजन ने छेड़ा आरक्षण की समीक्षा का राग

अहमदाबाद
लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन के इस
बयान पर नया विवाद खड़ा हो सकता है। सुमित्रा महाजन
ने शनिवार को एक कार्यक्रम में कहा कि देश में जाति
आधारित आरक्षण पर 'पुनर्विचार' होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि संविधान निर्माता बाबासाहेब आंबेडकर
भी ऐसा ही चाहते थे।
अहमदाबाद में स्मार्ट सिटीज को लेकर
आयोजित एक कार्यक्रम में स्थानीय निकायों के
प्रतिनिधियों और अफसरों को संबोधित करते हुए महाजन ने
कहा, 'आंबेडकरजी ने कहा था, 10 साल के
लिए आरक्षण दिया जाना चाहिए और इसके बाद
समीक्षा की जानी
चाहिए। पिछड़े लोगों को इस स्तर पर लाया जाना चाहिए।
लेकिन हमने कुछ नहीं किया। यहां तक कि
मैं भी इसकी दोषी
हूं। हमने इस बारे में सोचा भी
नहीं। हमने कभी इस बात पर
ध्यान नहीं दिया कि इसकी
समीक्षा की जानी
चाहिए।'
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक
अहमदाबाद में अपने संबोधन के दौरान महाजन ने कोटा पर
पुनर्विचार की बात को लेकर वियतनाम यात्रा का
जिक्र करते हुए कहा, 'पिछले 20 से 25 सालों में
वियतनामी लोगों ने बहुत तेजी से
विकास किया है। यह एक आश्चर्य की
तरह है, लेकिन हम 60 से 70 सालों के बाद
भी देश से जातिवाद को खत्म
नहीं कर पाए हैं। प्लीज, इसे
राजनीतिक मुद्दा न बनाएं।'
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक
हालांकि बाद में एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने
कहा कि वह आरक्षण पॉलिसी के पक्ष या
विपक्ष में अपनी कोई राय जाहिर
नहीं कर रही थीं।
महाजन ने सफाई देते हुए कहा, 'मैं यह कह
रही हूं कि हमें यह सोचना चाहिए कि
आखिर हम बाबा साहेब आंबेडकर के सपनों का समाज
क्यों नहीं बना सके हैं। हमें इसके कारणों
पर भी विचार करना चाहिए।' इससे पहले
आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने
भी आरक्षण की
समीक्षा को लेकर बयान दिया था, जिससे खासा
विवाद खड़ा हो गया था। यहां तक कि बिहार चुनाव में
भी विपक्षी दलों ने इसे मुद्दा बना
लिया था और बीजेपी को
करारी हार का सामना करना पड़ा था।
अक्टूबर, 2015 में पीएम नरेंद्र
मोदी ने साफ किया था कि रिजर्वेशन
पॉलिसी में किसी तरह के संशोधन
या हटाए जाने की संभावना नहीं
है। महाजन का बयान ऐसे समय में आया है, जब
बीजेपी हैदराबाद
यूनिवर्सिटी के छात्र रोहित वेमुला
की आत्महत्या के बाद आए
पार्टी नेताओं के बयानों से उबरने
की कोशिशों में जुटी है।
बीजेपी नेताओं के बयानों को दलित
विरोधी करार देते हुए विपक्षी दलों
के नेता उसे घेरने में जुटे हुए हैं। गौरतलब है कि इन
दिनों गुजरात में बीजेपी को
पाटीदार समुदाय की ओर से
जारी आरक्षण आंदोलन से भी
जूझना पड़ रहा है।

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