Shayari Part.71

1. ऐसा कोई गुनाह करना है......
जिसकी सजा सिर्फ तुम हो....!!

2. हम तुमसे दूर कैसे रह पाते,
दिल से तुमको कैसे भूल पाते,
काश तुम आईने में बसे होते,
ख़ुद को देखते तो तुम नज़र आते.

3. वजह होती.. तो मिटा देता...
बेवजह था इश्क़.. ना रह पाया...
ना समझा पाया...

4. न वो सपना देखो जो टूट जाये;
न वो हाथ थामो जो छूट जाये;
मत आने दो किसी को करीब इतना;
कि उसके दूर जाने से इंसान खुद से रूठ जाये।

5. अब आवाज़ आयीं तो तुझे निकालकर फेक दूंगा
ऐ दिल कहा ना सो जा. कोई नहीं है यहाँ तेरा..

6. तेरा ज़िक्र..तेरी फिक्र..तेरा एहसास...तेरा ख्याल..!!!
तू खुदा नहीं...फिर हर जगह मौज़ूद क्यूँ है.....!!!

7. इसे इत्तेफाक समझो या दर्दनाक हकीकत,
आँख जब भी नम हुई, वजह कोई अपना ही निकला...

8. अफ़सोस होता है उस पल... जब अपनी पसंद कोई और चुरा लेता है...
ख्वाब हम देखते हैं... और
हक़ीक़त कोई और बना लेता है..

9. वैसे दुश्मनी तो हम चिटी से भी नहीं करते 
लेकिन बीच में आया तो शेर को भी नहीं छोडते

10. "है जो तुझमे दम तो दे दे आज इन लबों पे हँसी "
"कल तो हम भी ढूँढ लेगे वजह मुस्कुराने की ...

Comments

Popular posts from this blog

ना हिंदू बुरा है ना मुसलमान बुरा है जिसका किरदार बुरा है वो इन्सान बुरा है. .

आप दिमाग से पैदल हैं

क्या वाल्मीकि जी मेहतर/भंगी थे?