Shayari Part.49

1. अब इससे भी बढ़कर गुनाह ए आशिकी क्या होगी.......
की जब रिहाई का वक़्त आया तब पिंजरे से मोहब्बत हो चुकी थी ....

2. अजीब रंग में गुजरी है जिंदगी अपनी,
दिलो पर राज़ किया और मोहब्बत को तरसे !!

3. लोग कहते हैं कि समझो तो खामोशियां भी बोलती हैं,
मै बरसों से खामोश हूं और वो बरसों से बेखबर है..

4. वो जान गयी थी हमें दर्द में मुस्कराने की आदत हैं,
वो रोज नया जख्म देती थी मेरी ख़ुशी के लिए..

5. हुए फना फिर भी ना सुधर पाए है फिर,
वही शायरी, फिर वही इश्क, फिर वही तुम..

6. पूछा था हाल उन्हॊने बड़ी मुद्दतों के बाद,
कुछ गिर गया है आँख में कह कर हम रो पड़े..

7. तू बदनाम ना हो इसलिए जी रहा हु मै,
वरना मरने का इरादा तो रोज होता है..

8. इस शहरे नामुराद की परवाह करेगा कौन....
जब हम ही चले गये तो मोहब्बत करेगा कौन...

9. घुटन सी होने लगी है, इश्क़ जताते हुए,
मैं खुद से रूठ गया हूँ, तुम्हे मनाते हुए..

10. सुकून की तलाश में हम दिल बेचने निकले थे,
खरीददार दर्द भी दे गया और दिल भी ले गया..

Comments

Popular posts from this blog

ना हिंदू बुरा है ना मुसलमान बुरा है जिसका किरदार बुरा है वो इन्सान बुरा है. .

आप दिमाग से पैदल हैं

क्या वाल्मीकि जी मेहतर/भंगी थे?