Shayari Part.47

1. कारवां-ए-ज़िन्दगी हसरतों के सिवा कुछ भी नहीं..
ये किया नहीं, वो हुआ नहीं, ये मिला नहीं, वो रहा नहीं

2. में रहु या ना रहु, तुम मुझमे कही बाकी रहना...!!
मुझे नींद आये जो आखरी, तुम ख्वाबो में आते रहना।

3. नए कमरों में अब चीज़ें पुरानी कौन रखता है.,
परिन्दों के लिए शहरों में पानी कौन रखता है.!

4. खुद नहीं आते हो तो यादों को भी आने ना दिया करो..
मुझे सिर्फ तुमसे मोहब्बत है यादों को याद से बता देना ...

5. यूं ही गुज़र जाते हैं,मीठे लम्हे मुसाफिरों की तरह
और यादें वहीं खडी रह जाती हैं रूके रास्तों की तरह..

6. सारे दुःखों को भुलाकर मुस्कुराया‬ तेरे लिए,
अब तू बता तू कभी रोयी‬ मेरे लिए..

7. ना कर तू इतनी कोशिशे, मेरे दर्द को समझने की..
तू पहले ishq कर, फिर चोट खा,
फिर लिख दवा मेरे दर्द की..

8. तुम कागजों पर और खूबसूरत दिखती हो ....
यकीं नहीं तो मेरी चंद नज़्में पढ़ लो ....

9. मंजिले तो नशीब वालों को हासिल हो गयीं.
हम तो दीवाने थे तेरे....
सफर में ही रह गये.....

10. सुनो.. इतना तो कोई मरीज़ भी नहीं करता
जितना तुम हमसे परहेज़ करते हो!

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