26/11
मुंबई हमले में कई वीर सपूतों को हमने खो दिया। इस
हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। यह हमला सिर्फ
मुंबई पर न होकर देश पर हमला था। 26-28 नवंबर तक रात
दिन चली मुठभेड़ के बाद आतंकियों को मार गिराया गया
और एक को जिंदा पकड़ लिया गया। इस एकमात्र
आतंकी अजमल कसाब को 21/11 को पुणे
की जेल में फांसी दे दी गई।
मेजर संदीप उन्नीकृष्णन
भारतीय सेना में मेजर जो बाद में नेशनल
सिक्योरिटी गार्ड में स्पेशल टास्क फोर्स का हिस्सा
बने। वे नवंबर 2008 में मुंबई के हमलों में आतंकवादियों से लड़ते
हुए मारे गए। उन्होंने इस ऑपरेशन में अपने साथियों को यह
कहते हुए पीछे कर दिया था कि ऊपर मत आना, मैं उन्हें संभाल लूंगा।
उन्नीकृष्णन ने न सिर्फ आतंकियों
की गोलियां अपने ऊपर लीं बल्कि अपने
एक घायल साथी को भी सुरक्षित बाहर
तक पहुंचा दिया। उनकी बहादुरी के लिए
उन्हें 26 जनवरी 2009 को अशोक चक्र से
सम्मानित किया गया।
अशोक कामटे
मुंबई हमले की रात मैट्रो सिनेमा के पास आतंकियों
को जवाब देने के लिए कामटे को वहां भेजा गया
था। आतंकियों से आमने सामने की मुठभेड़ में उन्होंने
तब तक जवाबी कार्यवाही की जब तक उनके शरीर
में जान रही। 28 नवंबर को पूरे राजकीय सम्मान के
साथ उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
हेमंत करकरे
1982 बैच के आईपीएस अधिकारी थे। उनकी
कार्यकुशलता को देखते हुए ही उन्हें मुंबई एटीएस का
प्रमुख बनाया गया था। उन्होंने नक्सलियों के
खिलाफ भी काबलियत का परिचय दिया था। वह
मुंबई हमले के दौरान 29 सितंबर 08 को मालेगांव में हुए
बम विस्फोट की गुत्थी सुलझाने में जुटे हुए थे। कामा
अस्पताल में आतंकियों के पहुंचने और लोगों को मारे
जाने की सूचना पर वह अपने जांबाज साथियों के
साथ वहां पहुंचे थे। कामा अस्पताल के बाहर पहुंचते
ही उन्हें आतंकियों के हमले का शिकार होना पड़ा।
इस मुठभेड़ में वह वीरगति को प्राप्त हुए।
अरुण जाधव
पुलिस अधिकारी अरुण जाधव आतंकियों से सीधी
चली मुठभेड़ में घायल हो गए थे। उन्होंने कामा
अस्पताल में मरीजों को सुरक्षित बाहर निकालने में
अहम भूमिका निभाई थी। घायल अवस्था में उन्हें
अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां बाद में वह
ठीक हो गए।
एएसआई तुकाराम ओंबले
मुंबई हमले के दौरान ओंबले गिरगांव चौपाटी में तैनात
थे। सेना से रिटायर होने के बाद उन्होंने मुंबई पुलिस
ज्वाइन की थी। आतंकी हमले के दौरान उनके पास
केवल एक लाठी ही थी, लेकिन वह इससे घबराए नहीं
और आतंकियों को रोककर उनका सामना किया।
उन्होंने आतंकियों की सारी गोलियां अपने सीने पर
लीं और एक आतंकी को अंत तक नहीं छोड़ा। यह
आतंकी था अजमल कसाब जिसको 2111 को फांसी
दी गई। 26 जनवरी 2009 को उन्हें अशोक चक्र से
सम्मानित किया गया।
विजय सालस्कर
सालस्कर उसी टीम का हिस्सा थे जो टीम कामा
अस्पताल में आतंकियों से मुठभेड़ करने निकली थी।
कामा अस्पताल पहुंचते ही आतंकियों ने अपनी
बंदूकों का रुख इनकी ओर कर दिया, जिसमें उनकी
मौत हो गई।
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